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मखमल से आभास हुए…

नरेंद्र श्रीवास्तव
गाडरवारा( मध्यप्रदेश)
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जब से हम-तुम साथ हुए हैं,जीवन के पल खास हुए हैं।
पल-पल खुशियों में बीतें अब,मखमल से आभास हुए हैं॥

तनहाई का आलम तम-सा,
पुरवाई का संग मद्धिम-सा।
गीत विरह के क्रंदन जैसे,
शहनाई का स्वर मातम-सा।
पर अब सब कुछ बदल गया है,अब हर पल मधुमास हुए हैं,
पल-पल खुशियों में बीतें अब,मखमल से आभास हुए हैं…॥

जो भी हैं अच्छे लगते सब,
सपने भी सच्चे लगते अब।
सुख,सुकून चहूँ ओर दिखे है,
कब दिन बीते,रात ढले कब ?
शिकवा-गिला नहीं है कोई,हृदय,अधर सुभाष हुए हैं,
पल-पल खुशियों में बीतें अब,मखमल से आभास हुए हैं…॥

मन तृप्त,मुग्ध,मस्त,मगन है,
रोम-रोम में ललक,लगन है।
साँस-साँस में महके चंदन,
नेही चितवन लिए नयन है।
जर्रा-जर्रा मधुर मिलन से,तन पुलकित सुवास हुए हैं,
पल-पल खुशियों में बीतें अब,मखमल से आभास हुए हैं…॥

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