मैंने देखा है
निर्मल कुमार शर्मा ‘निर्मल’ जयपुर (राजस्थान) *************************************** तू बुलंदी पे अपनी,गुमां यूँ न कर,मैंने देखे,जबल भी दरकते हुए। तू अँधेरों में सायों की ना बात कर,मैंने आँधी में देखे,ये छुपते हुए। पास साहिल दिखे,कम ना रफ़्तार कर,मैंने देखे,किनारे सरकते हुए। जो मिला है तुझे,शुक्रिया रब का कर,मैंने देखे सवाली,तरसते हुए। पाक-दिल की दुआ में बला का … Read more