आजाद वतन

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** गाँधी जयंती विशेष………… कोटि-कोटि जन्मभूमि से, यह भारत देश न्यारा है। देश सदा स्वतन्त्र रहेगा, अब यह प्रण हमारा है॥ प्यारे-प्यारे फूल खिले हैं, हिन्दू मुस्लिम गले मिले हैं। एक धागे में गुँथे हुए, रंग-बिरंगे फूल मिले हैं॥ अनेक रंगों से सजे हुए, महामानव समुद्र हमारा है। देश … Read more

माता

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** हूँ हूँ….हो हो…. माई मेरी माई,आज हो जा तू सहाई, मैं दुनिया से गया मारा….आ…आ…. छोड़ तुझे कहाँ जाऊँ मैं, आ बन जा अब तू सहारा…आ…आ… माई मेरी माई,आज हो जा तू सहाई….l माई मेरी माई,आज हो जा तू सहाई….ll हूँ हूँ….हो हो…. दर तेरा छोड़ के मैं,कहाँ … Read more

रोजगार

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** रोजगार मिलता कहाँ,मारामारी आज। जनसंख्या विकराल है,अब क्या करे समाजll काम मिले कुछ और को,आधे हैं बेकार। गुंडागर्दी शौक है,करते अत्याचार ll शिक्षित अनपढ़ साथ में,मिलकर करते काज। सभी समस्या मूल से,हल हो जाती आज ll हर समाज को चाहिए,मिलकर कदम उठाय। अपना पैतृक कार्य को,करते चित्त लगाय … Read more

सफर

डोमन निषाद बेमेतरा(छत्तीसगढ़) ************************************************************* चलो चलें हम, अपनी मंजिल के लिए…। अब क्यों रूकें हम, अपनी महफिल के लिए…॥ कौन जानता है…? क्या होगा इस जमाने में, सबको चलना होता है, एक सफर अनजाने में॥ सजी नहीं रहती है, फूलों की मकसद की राहें। कभी दर्द-भरी रहते हैं। हर सफर के रास्ते। फिर भी काँटों … Read more

हिंदी मेरी जान

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** हिंदी  दिवस स्पर्धा विशेष……………….. हिन्द देश के हैं हम वासी,हिंदी मेरी जान है। मैंने तन-मन वार दिया,मेरी जां कुर्बान है॥ वंदे मातरम् वंदे मातरम्,धरती का ये राग है, भारत वासी बेटा है,सबकी यही जुबान है। हिन्द देश के हैं हम… अंग्रेजी पढ़ लेना तुम,अंग्रेज नहीं बन जाना, देशद्रोह … Read more

क्या लिखूँ…

डोमन निषाद बेमेतरा(छत्तीसगढ़) ************************************************************* चिंतित हूँ, लिखूँ तो क्या…? मोहब्बत में, शोहरत में गम से, रम से विचलित हूँ। लिखूँ तो क्या लिखूँ…? क्या गृह संसार पर, इस शुभ विचार पर या शुभ चिंतन करूँ, और नहीं तो अभिनंदन करूँ शब्दों से सवाल करता हूँ, उलझन में हूँ, लिखूँ तो क्या लिखूँ…? ऐ खुदा, तू … Read more

पुस्तक अपनी मित्र

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** पुस्तक अपनी मित्र है,रखना इसे सम्हाल। साथ निभाती है यही,हर युग औ हर काल॥ शब्दों का भण्डार है,यही खजाना ज्ञान। जो भी पढ़ता है इसे,वो बनता धनवान॥ बच्चे-बूढ़े हैं सभी,लेते इससे ज्ञान। फुर्सत में सुख देत हैं,धर्म-कर्म विज्ञान॥ पुस्तक की दुनिया भली,देती इक संसार। अपनों के आनन्द में,फिर … Read more

चुभन पहचान लेना तुम

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** (रचना शिल्प:अरकान-१२२ १२२२ १२२२ १२२२) सदा रहती नहीं है ये जवानी मान लेना तुम। नहीं सब व्यर्थ हो जाये समझ इंसान लेना तुम। ख़ुदा के पास जाना है करम कुछ हो तेरा ऐसा, हकीकत में यहाँ भगवान को अब जान लेना तुम। ज़रा-सी जिंदगानी है गुमां करना नहीं … Read more

कृष्ण जन्म

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष………. द्वापर युग का अंत था,वर्षों पाँच हजार। मथुरा का राजा भयो,उग्रसेन सरकारll बड़ा पुत्र था कंस जो,महाबली महाराज। चाचा देवक जी कहे,कर आओ कुछ काजll छोटी पुत्री देवकी,छोड़ चले ससुराल। ध्वनि सुनी जो मार्ग में,कंस हुआ बेहालll मारेगा तुझे आठवाँ,पुत्र देवकी लाल। जन्म भूमि … Read more

मन की शक्ति

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** मन के हारे हार है,मन के जीते जीत। मन में दृढ़ संकल्प हो,बने वही फिर मीत॥ मन तो एक तरंग है,बहता है दिन-रात। रुके नहीं रोके कभी,बनती कैसे बात॥ पंछी जैसी चाल है,करे नहीं आराम। मन ऐसा है बावरा,फिरता सुबहो-शाम॥ मन चंचल तन सारथी,चलते हैं दिन रैन। रोके … Read more