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कृष्ण जन्म

बोधन राम निषाद ‘राज’ 
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष……….


द्वापर युग का अंत था,वर्षों पाँच हजार।
मथुरा का राजा भयो,उग्रसेन सरकारll

बड़ा पुत्र था कंस जो,महाबली महाराज।
चाचा देवक जी कहे,कर आओ कुछ काजll

छोटी पुत्री देवकी,छोड़ चले ससुराल।
ध्वनि सुनी जो मार्ग में,कंस हुआ बेहालll

मारेगा तुझे आठवाँ,पुत्र देवकी लाल।
जन्म भूमि पर लेत ही,वही बनेगा कालll

यह सुनकर फिर कंस ने,ली तलवार उठाय।
देवक पुत्री तब हुई,निर्बल औ असहायll

सोच समझ वसुदेव जी,हुआ तभी तैयार।
पुत्र जन्म होते सभी,देने को लाचारll

कैद किया अपने पिता,उग्रसेन को जेल।
मथुरा का राजा बना,राज काज का खेलll

पुत्र जन्म पहला हुआ,दियो कंस लौटाय।
नारद वचन सुना तभी,वापस कंस मँगायll

हर इक पुत्र को तभी,दिए कंस के हाथ।
दुष्ट तभी फिर मारता,उठा पटक के साथll

वसुदेव और देवकी,फिर तो कारागार।
पहरा लगा कठिन फिर,होवे अत्याचारll

थे रानी वसुदेव की,चले वहाँ व्रजनन्द।
गोकुल नगरी धाम में,रहती सब आनन्दll

पुत्र सातवें गर्भ से,हरि ने दियो उड़ाय।
सुखद योगमाया रची,बनी रोहिणी धायll

गर्भपात शंका हुआ,समझे मथुरा राज।
पुत्र आठवे रूप में,सफल किये सब काजll

मथुरा कारागार में,जन्म लियो घनश्याम।
जग के पालनहार को,करते कोटि प्रणामll

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