राजनीति के ‘सदा मंत्री’ रहे पासवान

तारकेश कुमार ओझाखड़गपुर(प. बंगाल ) ****************************************************** भारतीय राजनीति में रामविलास पासवान का उदय किसी चमत्कार की तरह हुआ। १९८०-९० के दशक के दौरान स्व. विश्वनाथ प्रताप सिंह की प्रचंड लहर में हाजीपुर सीट से वे रिकॉर्ड मतों से जीते और केन्द्र में मंत्री बन गएl यानि जिस पीढ़ी के युवा एक अददरेलवे की नौकरी में … Read more

डरता हूँ,थर्राता हूँ…

तारकेश कुमार ओझाखड़गपुर(प. बंगाल ) ********************************************************** ‘तालाबंदी’ है,इसलिए आजकल घर पे ही रहता हूँ,बाल-बच्चों को निहारता हूँ,लेकिन आँखें मिलाने से कतराता हूँ।डरता हूँ,थर्राता हूँ,‘तालाबंदी’ है,इसलिए आजकल घर पे ही रहता हूँ॥ बिना किए अपराध बोध से भरे हैं सब,इस अंधियारी रात की सुबह होगी कब!मन की किताब पर नफे-नुकसान का हिसाब लगाता हूँ,‘तालाबंदी’ है,इसलिए आजकल … Read more

क्या गुरू…! फिर तालाबन्दी…

तारकेश कुमार ओझाखड़गपुर(प. बंगाल ) ********************************************************** जो बीत गई उसकी क्या बात करें,लेकिन जो बीत रही है उसे अनदेखा भी कैसे और कब तक करेंl ऐसा डरा-सहमा सावन जीवन में पहली बार देखा,लोग पूछते हैं…क्या कोरोना काल में इस बार रक्षाबंधन और गणेशोत्सव भी फीके ही रह जाएंगेl यहां तक कि,खतरनाक विषाणु की अपशकुनी काली … Read more

गरीबों के ‘नसीब’ की ‘अ-तालाबंदी’ कैसे होती है साहब…!

तारकेश कुमार ओझाखड़गपुर(प. बंगाल ) ********************************************************** 1’कोरोना’ काल में दुनिया वाकई काफी बदल गई। ‘तालाबंदी’ अब ‘अ-तालाबंदी’ की ओर अग्रसर है, लेकिन इस दुनिया में एक दुनिया ऐसी भी है,जो तालाबंदी और अ-तालाबंदी का कायदे से मतलब नहीं जानती। उसे बस इतना पता है कि लगातार बंदी से उसके जीवन की दुश्वारियां बहुत ज्यादा बढ़ … Read more

जुमलों की जलेबी…!!

तारकेश कुमार ओझाखड़गपुर(प. बंगाल ) ********************************************************** बकलौली की बूंदी,राहत के रसगुल्लेजुमलों की जलेबी,आश्वासनों के गुलाब जामुनlतृप्त हो गई जनता,अब बस भी करो भले मानुषबचपन में भूखे पेट बहुत सुनी,राजा-महाराजा की कहानियाँlठंड से ठिठुरता शरीर,बातों में रजाइयांl परिचय-तारकेश कुमार ओझा का नाम खड़गपुर में वरिष्ठ पत्रकार के रुप में जाना जाता है। आपका निवास पश्चिम बंगाल के … Read more

मजदूर की मंजिल…!

तारकेश कुमार ओझा खड़गपुर(प. बंगाल ) ********************************************************** पत्थर तोड़ कर सड़क बनाता है मजदूर, फिर उसी सड़क पर चलते हुए पैरों पर पड़ जाते हैं छालेl `मत` देकर सरकार बनाता है मजदूर, लेकिन वही सरकार छीन लेती है उनके निवालेl कारखानों में लोहा पिघलाता है मजदूर, फिर खुद लगता है गलने-पिघलनेl रोटी के लिए घर-द्वार … Read more

सड़कें यूँ उदास तो न थी…!

तारकेश कुमार ओझा खड़गपुर(प. बंगाल ) ********************************************************** अपनों से मिलने की ऐसी तड़प,विकट प्यास तो न थी, शहर की सड़कें पहले कभी यूँ उदास तो न थी। पीपल की छाँव तो हैं अब भी मगर, बरगद की जटाएंं यूं निराश तो न थी। गलियों में होती थी समस्याओं की शिकायत, मनहूसियत की महफिल यूँ बिंदास … Read more

शहर वही है,नजारे बदल गए…!

तारकेश कुमार ओझा खड़गपुर(प. बंगाल ) ********************************************************** मेले वही हैं,बस इश्तेहार बदल गए, आसमां वही है,सितारे बदल गए। मायने वही है,मगर मुहावरे बदल गए, आग वही है,अंगारे बदल गए। गलियां वही है,शोर-शराबे बदल गए। शहर वही है,बस नजारे बदल गए, शहर वही है,बस नजारे बदल गए…॥ परिचय-तारकेश कुमार ओझा का नाम खड़गपुर में वरिष्ठ पत्रकार … Read more

दौर कुछ ऐसा आया है..

तारकेश कुमार ओझा खड़गपुर(प. बंगाल ) ********************************************************** क्या कोलकाता,क्या खड़गपुर गया हो या टाटा, कोरोना वायरस से कांपी दुनिया गाँव-शहर है सन्नाटा। हर चेहरे पर चस्पा दहशत दौर कुछ ऐसा आया है, कैसी होगी भविष्य की दुनिया सोच कर दिल घबराया है। घर से चलेंगे बाबूओं के दफ्तर गरीब भटकेंगे दर-ब-दर, अहसास से मन अकुलाया … Read more

एकांतवास…

तारकेश कुमार ओझा खड़गपुर(प. बंगाल ) ********************************************************** वनवास हुआ ‘लॉकडाउन’ का एकांतवास, खलने लगी जबरदस्ती की आरामतलबी तड़पाने लगी वो स्थगित जिंदगी। फिर लौटे मैदानों में खेल पटरियों पर दौड़े धड़धड़ाती रेल। समझ आने लगी उन पलों की अहमियत, दोस्तों संग एक कुल्हड़ चाय की कीमत। भागे मनहूसियत,मिटे विधि का लेखा, लौटे रौनक,सजे दुनिया का … Read more