ज़िन्दगी हरदम लेती परीक्षा

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** (रचनाशिल्प:काफ़िया-आर,रदीफ़-है मिलता, बहर-१२२२ १२२२ १२२२ १२२२) फ़क़त ही याचना करके,कहाँ अधिकार है मिलता, उठा गाण्डीव जब रण में,तभी आगार है मिलता। नहीं मिलता यहाँ…

Comments Off on ज़िन्दगी हरदम लेती परीक्षा

विश्वविजय

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** खड़ा हुआ है लौह पुरुष, एकता भाव जगाने को। विखण्डित होते भारत, को अखण्ड बनाने कोll वर्षों से जो रहा उपेक्षित, अब सम्मान दिलाने…

Comments Off on विश्वविजय

दीवाली का बस यह कहना

आदेश कुमार गुप्ता `पंकज`  रेणुसागर(उत्तरप्रदेश) ****************************************************** दीवाली का बस यह कहना, आपस में मिल कर के रहना। चाहे जितने दीप जलाओ, चाहे चौखट द्वार सजाओ। यदि दिल में बच गया…

Comments Off on दीवाली का बस यह कहना

ज्योति पर्व

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** मन से ईर्ष्या द्वेष मिटा के, नफरत की ज्वाला बुझा के हर दिल में प्यार जगाएं, सत्य प्रेम का दीप जलाएं... आओ ज्योति पर्व…

Comments Off on ज्योति पर्व

इश्क़ अंज़ाम

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** (रचनाशिल्प:२१२ २१२ २१२ २१२) याद आएं अगर एक पैगाम दो, नाम लेकर मेरा इश्क़ अंजाम दो। प्यार में जब कभी तुम तड़पने लगो, हिचकियों…

Comments Off on इश्क़ अंज़ाम

क्यूँ देखे तू चंदा

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** (रचनाशिल्प: काफ़िया-रा,रदीफ़-चाँद सा) क्यूँ देखे तू चंदा,खुद चेहरा तेरा चाँद सा, क्यूँ देखूँ मैं चंदा,जब प्यारा मेरा चाँद-सा। चाहत होगा चकोर का,क्या होगा भोर…

Comments Off on क्यूँ देखे तू चंदा

सकल आसमां,सरस चंद्रमा

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** शरद पूर्णिमा विशेष.................... धवल चाँदनी,शरद पूर्णिमा, सकल आसमां,सरस चंद्रमा। बरस रही है सुधा भी झर-झर अँजुरी भर भर उसको पी लो। पुलकित धरती,हर्षित काया,…

Comments Off on सकल आसमां,सरस चंद्रमा

भरो माँ रंग जीवन में

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** सती चण्डी जगत जननी,महादेवी उमा गौरी, भवानी मात जगदम्बा,महाकाली महागौरी। भरो माँ रंग जीवन में, 'प्रियम' की चाह है इतनी- तुम्हारा हाथ हो सर…

Comments Off on भरो माँ रंग जीवन में

जग को पाठ पढ़ायेंगे

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** यशोधरा का प्रश्न ........... खुद को दुनिया में बतलाना शुद्ध, आसान बहुत है बन जाना बुध्द। किसी की शवयात्रा को देखकर, एक रात आधी…

Comments Off on जग को पाठ पढ़ायेंगे

मुल्क और मीत

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** मितवा मुझे तो जाना होगा, दिल को तो समझाना होगा। वतन का साथ निभाने को, अपनों का हाथ बंटाने को... मुझे सरहद पे जाना…

Comments Off on मुल्क और मीत