स्वागत बसंत ऋतु

डॉ. रचना पांडेभिलाई(छत्तीसगढ़)*********************************************** वसंत पंचमी स्पर्धा विशेष ….. शीत ऋतु का देखो यह,कैसा सुनहरा अंत हुआ।हरियाली फैली है चारों ओर,स्वागत ऋतु बसंत का हुआ॥ चमक रहा सूरज अब नभ में,उड़ रहा जैसे धुआं गगन में।मधुर पवन भी बहने लगी,हमसे बसंत ऋतु यह कहने लगी॥ आम नहीं है यह कोई ऋतु,यह तो ऋतुओं की रानी है।पूरे … Read more

एक तुम ही हो

डॉ. रचना पांडे,भिलाई(छत्तीसगढ़)*********************************************** एक तुम ही हो,मेरे वजूद के हर हिस्से मेंएक सुकून की तरह समाए हो,मेरी पलकों के हर रोम छिद्र मेंमेरे संग तुम आजन्म हो,बस एक तुम ही हो…बंद करूं निगाहें तू ही नजर आए,तेरी चंचल अदा पर दिल बहका जाए। हाथ थामकर सपनों को मेरे सजाते हो,जब मन गमगीन हो तो तुम … Read more

जिंदगी

डॉ. रचना पांडे,भिलाई(छत्तीसगढ़)*********************************************** जिंदगी हूॅं,जीना सिखा रही हूॅंइन दिनों जिंदगी से रुबरु होने का मौका मिलावो मेरे जीने के ढंग पर मुस्कुरा रही थी,थकान और चोटों को सहला कर मुझे सुला रही थी।पता नहीं,क्यों अलग हुए हम दोनों,मैं उसे और वो मुझे समझा रही थी,आखिरकार मैने अपना मौन तोड़ाउससे निडर होकर पूछ ही लिया,क्यों इतना … Read more

न जाने कितने सपने

डॉ. रचना पांडे,भिलाई(छत्तीसगढ़)*********************************************** काव्य संग्रह हम और तुम से ना जाने कितने सपने आँखों में लिए,हम तुम साथ-साथ चल दिए।तुमने मुझे अपनाया,अपने करीब लाया,अब जिंदगी से मुझे कुछ ना चाहिए,जीवनभर बस तेरा साथ चाहिए।कभी कुछ मैं कहूं कभी कुछ तुम कहो,इस अविरल सफर में।कुछ दूर मैं चलूं कुछ दूर तुम चलो,जाने क्यूँ थे एहसास हुआ।ढलती … Read more

प्यार में यूँ मरना चाहती

रचना सक्सेनाप्रयागराज(उत्तरप्रदेश)**************************************** मैं समुंदर में उतरना चाहती,प्यार में यूँ डूब मरना चाहती। छोड़ दूँ सारा जहाँ उसके लिये,याद में उसके सँवरना चाहती। है खुदा के नाम में उल्फत निहां,नफरतों सें मैं उबरना चाहती। चाहती हूँ हरितिमा हो हर तरफ,फागुनी कुछ रंग भरना चाहती। दिल दुखाना ही जहाँ में पाप है,मैं नहीं यह पाप करना चाहती। … Read more

दिल ढूंढता है

डॉ. रचना पांडे,भिलाई(छत्तीसगढ़) *********************************************** दिल ढूंढता है फिर उस दौर को,सिमट गई घड़ियाँ यादों के पिंजरे मेंजैसे कैद कर ली हो रूह को मेरे,काश कोई लौटा दे,उस बीते पल को।दिल ढूंढता है फिर उस दौर को… वह बचपन की गलियां,और ढेर सारी शरारतें,गर्मियों की छुट्टियाँ और चहकती रातेंकितना सुकून था नंगे पाँव चलने में,बरसात की … Read more