डॉ. रचना पांडे
भिलाई(छत्तीसगढ़)
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वसंत पंचमी स्पर्धा विशेष …..
शीत ऋतु का देखो यह,
कैसा सुनहरा अंत हुआ।
हरियाली फैली है चारों ओर,
स्वागत ऋतु बसंत का हुआ॥
चमक रहा सूरज अब नभ में,
उड़ रहा जैसे धुआं गगन में।
मधुर पवन भी बहने लगी,
हमसे बसंत ऋतु यह कहने लगी॥
आम नहीं है यह कोई ऋतु,
यह तो ऋतुओं की रानी है।
पूरे वर्ष की सभी ऋतु में,
बसंत ऋतु ही सबसे सुहानी है॥
तारे चमके अब रातों को,
कोहरे ने ले ली है विदाई।
पीली-पीली सरसों से भी,
खुशबू भीनी-सी आई॥
आया बसंत बदल गई सब ऋतुएं,
हंस यौवन श्रंगार सजाए।
मौसम ने ली अंगड़ाई,
आम के बौर की खुशबू आई॥
माँ सरस्वती के ज्ञान का प्रकाश लिए,
आई वसंत ऋतु हर्ष उल्लास लिए।
चारों ओर उल्लास की छटा बिखेरे,
बेला की खुशबू लिए हर सवेरे॥
शीत ऋतु का देखो यह
कैसा सुनहरा अंत हुआ।
हरियाली फैली है चारों ओर,
स्वागत ऋतु बसंत का हुआ॥