कुल पृष्ठ दर्शन : 359

You are currently viewing दिल ढूंढता है

दिल ढूंढता है

डॉ. रचना पांडे,
भिलाई(छत्तीसगढ़)
***********************************************

दिल ढूंढता है फिर उस दौर को,
सिमट गई घड़ियाँ यादों के पिंजरे में
जैसे कैद कर ली हो रूह को मेरे,
काश कोई लौटा दे,उस बीते पल को।
दिल ढूंढता है फिर उस दौर को…

वह बचपन की गलियां,और ढेर सारी शरारतें,
गर्मियों की छुट्टियाँ और चहकती रातें
कितना सुकून था नंगे पाँव चलने में,
बरसात की झड़ी और भीगी पगडंडियों में
फिर से ताजा करने उस यादों को।
दिल ढूंढता है फिर उस दौर को…

वह माँ की रोटी में नमक घी लगाना ,
चलते-चलते उसे मुँह में खिलाना
बात-बात पर हर जिद में रूठ जाना,
वह भाई-बहनों का लड़ना और मनाना।
कहां से लाएं उस बीते पल को…
दिल ढूंढता है फिर उस दौर को॥

Leave a Reply