अटल विश्वास

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** अटल विश्वास है मुझको,भँवर भी पार कर लूँगा,जीत को मीत मैं कर के,हार की हार कर लूँगा।अगर ठोकर लगेगी तो,सँभालेगा मुझे मोहन-भरूँगा गीत नित नूतन,अधर गुलजार कर लूँगा॥ परिचय-डॉ.विद्यासागर कापड़ी का सहित्यिक उपमान-सागर है। जन्म तारीख २४ अप्रैल १९६६ और जन्म स्थान-ग्राम सतगढ़ है। वर्तमान और स्थाई पता-जिला पिथौरागढ़ है। हिन्दी और … Read more

कर्तव्य

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** कर्तव्य पथ पर चल पड़ा जो,आँधियों से कब डरा है।पथ में असीमित शैल होंगे,उर सदा माधव भरा है॥ मधु हास भरकर बाँह अपनी,मंजिलें नित खोलती हैं।शूलों हटो तुम राह से ये,पाँखुड़ी ही बोलती हैं॥ यूँ देख उसके साहसों को,यामिनी छुपती विभा में।उसकी विजय के गीत बजते,सदा गुणियों की सभा में॥ पराभव ने … Read more

माँ

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** भँवर बहुत ही गूढ़ है,नाव रही है डोल।ओ माँ शेरा वालिये,झट दरवाजे खोल॥ विपदा बड़ी विशाल है,भू है डाँवाडोल।नयन भर गये नीर से,माँ दरवाजे खोल॥ बड़ी गहन,माँ देख ले,‘कोरोना’ की चोट।सुन माँ सब कहने लगे,ममता पर है खोट॥ पग-पग पर हैं माँ खड़े,कोरोना के शूल।आकर हर विपदा तभी,समय बने अनुकूल॥ माँ सुन … Read more

मानवता घायल हुई

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** मानवता घायल हुई,विपदा का है काल।वायुकणों में बुन दिया,कोरोना ने जाल॥कोरोना ने जाल,हवा में जहर घुला है।कैसे लांघें द्वार,काल का द्वार खुला है!कह सागर कविराय,डरी है बिंदी,पायल।‘कोरोना’ से आज,हुई मानवता घायल॥ परिचय-डॉ.विद्यासागर कापड़ी का सहित्यिक उपमान-सागर है। जन्म तारीख २४ अप्रैल १९६६ और जन्म स्थान-ग्राम सतगढ़ है। वर्तमान और स्थाई पता-जिला पिथौरागढ़ … Read more

सुख और दु:ख में सदा

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** विश्व पुस्तक दिवस स्पर्धा विशेष…… भूत,वर्तमान और भविष्य का,सदा होतीं स्पष्ट चित्र पुस्तकें।सुख और दु:ख में सदा साथ दें,होतीं हैं प्रगाढ़ मित्र पुस्तकें॥ हारते को दिखातीं राह नित,करातीं हैं विजय का घोष ये।अपूर्ण को बदलें पूर्ण में,उर में उगाती मधुर तोष ये॥ मिटता है तिमिर,और सर्वदा,नवल आलोक होता राह में।मनु नित देवत्व … Read more

मेरे राम…

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** राम रस,राम गंध,राम जीव तत्व हैं।उर,श्वास के हितार्थ,राम का महत्व है॥ रोम-रोम बसे राम,जीव-जीव राम हैं।तरी होती पार,यदि,साथ राम नाम है॥ रसना नि: स्वार्थ जब,राम को पुकारती।राह की बाधा विशाल,नाम से ही हारती॥ राम छंद,राम गीत,राम लय,राग हैं।रसना में नाम हो तो,जागते ही भाग हैं॥ एक नाम राम का ही,हास का तो … Read more

भगवा रंग बोलेगा…

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** रचनाशिल्प:मात्रा भार १६-१५ भारती के लाल कैसे थे,ये भगवा रंग बोलेगा।दुश्मनों के काल कैसे थे,ये भगवा रंग बोलेगा॥ चढ़ाये शीश हँस-हँसकर,निडर हो माँ के चरणों में।वो माँ के ढाल कैसे थे,ये भगवा रंग बोलेगा॥भारती के लाल कैसे थे… जो केहरि बनके तोड़े थे,गुलामी की जंजीरों को।वो समर के साल कैसे थे,ये भगवा … Read more

न जाओ पिया जी…

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** रचना शिल्प:मात्रा भार १६-१६ मुझे न जाओ छोड़ पिया जी,तार-तार कर तार प्यार के।अप्रतिम नेह दिया है प्रियतम,उर को तुम पर सदा वार के॥ तुझको पाकर मुझे मिला है,पल-पल ही ऋतुराज पिया जी।नद,निर्झर सब गान दे रहे,मेह छेड़ती साज हिया जी॥ कैसे जी लूँगी तुम बिन मैं,अपने मधुरिम सपन हार के।मुझे न … Read more

मन बन जा तू पारखी

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** नयन किसन के तक रहे,राधा को अविराम।माधव राधा हो रहे,राधा श्यामल श्याम॥ रघुकुल की महिमा बड़ी,सत ही सत चहुंओर।एक घाट पानी पियें,केहरि,मानुष,ढोर॥ गौरवशाली है रहा,भारत का इतिहास।सूली पर चढ़ते हुये,वीर किये हैं हास॥ मन बन जा तू पारखी,जैसे होत मराल।जग कानन में खोजना,पुहुपों की तू डाल॥ मानस,घट आसव भरा,लगे मधुर चहुंओर।उर की … Read more

गाँव की पाठशाला…

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** जिस पावनतम मंदिर में जा,पथ पर चलना सीखा हमने।जीवन में नव-नव साँचों में,अविरल ढलना सीखा हमने॥ तमस चीरकर जिसने पथ पर,आखर देकर किया उजाला।वंदनीय है,पूजनीय है,गाँव की मेरी पाठशाला॥ भरा कलम में जिस माटी ने,संख्याओं का जोड़-घटाना।गुरुजी ने नित जहां सिखाया,बाधाओं को सदा हटाना॥ रोना छुड़ा,पिलाई जिसने,मुस्कानों की पावन हाला।वंदनीय है,पूजनीय है,गाँव … Read more