अच्छा लगता है…
सविता सिंह दास सवितेजपुर(असम) ************************************************************************ सावन में थोड़ीबावरी बनना,अच्छा लगता हैपिस-पिस जाती,फिर आस मन कीतेरे उखड़े-उखड़ेस्वभाव से पिया।यूँ पिसकर भी,मेहंदी सम महकनाअच्छा लगता है।मन की सतहरेगिस्तान बनी,जेठ-आषाढ़ मेंतपती रह गईइच्छाएँ सारी।फिर पावस मेंहरे होंगे,घाव विरह केइस टीस को,फिर से सहनाअच्छा लगता है!सावन में थोड़ीबावरी होना,अच्छा लगता है!व्याकुल हैं बदरा,तेरे मन-आँगन मेंबरसने को,तुम ही ना दिखते।आँखों में … Read more