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गुलाब ले लो

सविता सिंह दास सवि
तेजपुर(असम)

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सिग्नल की हर गाड़ी की
खिड़की पर देती है वो दस्तक,
शोर चाहे कितना भी हो ट्रैफिक का
सबके कानों में चुभती,
उसकी वो टक-टकl

मटमैली-सी है उसकी फ्रॉक,
बाल बिखरे,कहीं पर टूटी
क्लिप को संभाले हुए,
नज़र आती है वो हर रोज़ सड़क पर
हाथों में गुलाब का गुलदस्ता लिएl

झिड़क उसे सभी की मिलती,
फिर भी बेझिझक
हर एक को पुकारती,
कभी कोई उसे तो
कभी वो खुद की,
किस्मत को दुत्कारतीl

हर पैनी नज़र का सामना कर
होंठों पर मीठे बोल रखती,
सारे गुलाब बिक जाने की
उम्मीद लिए,
आगे फिर बढ़ जातीl

बड़ी नहीं हुई अभी,
पर घर की बड़ी है
माँ के जाने के बाद,
सब वही तो संभालती हैl

फूलों का गुच्छा
एक भी बिक जाए तो,
मानो रियासत मिल जाती है
किसी राजकुमारी-सी
मुस्कान लिए,
फिर वो घर को चलती हैll

परिचय-सवितासिंह दास का साहित्यिक उपनाम `सवि` हैl जन्म ६ अगस्त १९७७ को असम स्थित तेज़पुर में हुआ हैl वर्तमान में तेजपुर(जिला-शोणितपुर,असम)में ही बसी हुई हैंl असम प्रदेश की सवि ने स्नातक(दर्शनशास्त्र),बी. एड., स्नातकोत्तर(हिंदी) और डी.एल.एड. की शिक्षा प्राप्त की हैl आपका कार्यक्षेत्र सरकारी विद्यालय में शिक्षिका का है। लेखन विधा-काव्य है,जबकि हिंदी,अंग्रेज़ी,असमिया और बंगाली भाषा का ज्ञान हैl रचनाओं का प्रकाशन पत्र-पत्रिकाओं में जारी हैl इनको प्राप्त सम्मान में काव्य रंगोली साहित्य भूषण-२०१८ प्रमुख हैl श्रीमती दास की लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा का प्रचार करना है। आपकी रुचि-पढ़ाने, समाजसेवा एवं साहित्य में हैl

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