ज़िन्दगी इक नदी…
सुनील चौरसिया ‘सावन’ काशी(उत्तरप्रदेश) ********************************************************** जिंदगी इक नदी है,अनवरत प्रवाहकिए बिना परवाह,आगे बढ़ते ही जानावापस कभी ना आना,‘सावन’ समय के साथकदमताल मिलाना,धार से अलग होखेतों में जाना…लोक कल्याण हेतु,खुद को मिटानायही तो नदी है…यही जिंदगी है…। कहीं है सुखद-शांति,कहीं अशांति-क्रांतिकहीं है पारदर्शिता,तो कहीं भ्रम-भ्रांति। मन से गुनो,नदी से सुनो। मृत्यु की निनाद,और जीवन का संगीतकरो … Read more