उत्तरशती के विमर्शों के बीच साहित्य की सत्ता के सवाल

प्रो. शैलेन्द्रकुमार शर्मा उज्जैन (मध्यप्रदेश) **************************************************************** साहित्य की सत्ता मूलतः अखण्ड और अविच्छेद्य सत्ता है। वह जीवन और जीवनेतर सब-कुछ को अपने दायरे में समाहित कर लेता है। इसीलिए उसे…

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