सभी नागरिक एक बराबर

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) *********************************** ईश्वर ने एकात्म दृष्टि से,मानव का निर्माण कियासभी जनों को एक भाव से,ही सारा अनुदान दिया। हवा चल रही सदा-सदा से,सबको वह मिल जाती हैकोई बोए,कोई काटे,धरती…

Comments Off on सभी नागरिक एक बराबर

वक्त नहीं चुप रहने का

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) *********************************** तन से कोमल,मन से निर्मल,विधि ने नारी सृजन कियासौम्य,शीलता,लज्जा का,कितना सुंदर आवरण दिया। देवी,सबला,शक्ति,कहकर,देवों ने सम्मान दियापर मानव,दानव बन बैठा,पल-पल ही अपमान किया। आखिर क्या हो गया…

Comments Off on वक्त नहीं चुप रहने का

शाकाहारी बन जाओ

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) *********************************** मदिरा,मांस,तामसी भोजन,का जो भक्षण करते हैंमहामारियों के प्रकोप से,बिना मौत वे मरते हैं।पंच गव्य के साथ-साथ,जो सात्विक भोजन करते हैंमहामारियों के कुचक्र से,सदा सुरक्षित रहते हैं।जितने भी…

Comments Off on शाकाहारी बन जाओ

माँ दुर्गा स्तुति

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) *********************************** जय मंगल मयि, मंगल कारिणि,जय जगदम्बे,जय जग तारिणि।लीला ललित-अमित विस्तारिणि,असुर विनासनि,जय दुःख हारिणि।शोक निकंदनि,जय सुख कारिणि,सौम्य-सुधा सर्वत्र प्रसारिणि॥मोह-रात्रि,दारुण-दुःख हारिणि,जय जगदम्बे, जय जग तारिणि।जय करुणामयि,जय भय हारिणि,जय जगजननी,जय…

Comments Off on माँ दुर्गा स्तुति

खतरा है गद्दारों से

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) *********************************** मंदिर से न मस्जिद से,गिरिजा घर न गुरूद्वारों से।खतरा तो है हमें साथियों,छिपे हुए गद्दारों से। अपने बन कर अपनों ने,अपनो पर रंग जमाया है।अपना लहू बगावत…

Comments Off on खतरा है गद्दारों से

विश्वास

अनूप कुमार श्रीवास्तवइंदौर (मध्यप्रदेश)****************************************** वेदना की मुंडेरों पर,दर्द बांसुरी-सा बजाता हैएक नया विश्वास रोज़,नई जिंदगी को सजाता है। चौखट पर राधा कहीं,सांवरे को बुलाती हैकान्हा-सी जिंदगी,मुदित हुई जाती है। विश्वास…

Comments Off on विश्वास

फांसी जरूरी

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) *********************************** कानूनी हथकड़ियों को अब,और कड़ा करना होगा…आतंकी,नक्सलियों को अब,तड़प-तड़प मरना होगा।पागल कुत्ते,हिरण,भेड़िए,की हत्या मजबूरी है।देश,समाज,व्यक्ति की खातिर,फांसी इन्हें जरूरी है॥ परिचय-प्रख्यात कवि,वक्ता,गायत्री साधक,ज्योतिषी और समाजसेवी `एस्ट्रो अमल`…

Comments Off on फांसी जरूरी

बस्तियों में रहती हूँ

अनूप कुमार श्रीवास्तवइंदौर (मध्यप्रदेश)****************************************** मैं वो हिंदी हूँतुम्हारे ड्राइंगरुम में नहींबस्तियों में रहती हूँ,तुम्हारी सभाओं-सम्मानों,पुरस्कारों में नहींदिखती हूँ।अपनी जीत केप्रति आश्वस्त हूँ,तुम्हारे फ़ूल मालाओं,लम्बे-लम्बे भाषणों मेंनहीं कही जातीं। मैं देश…

Comments Off on बस्तियों में रहती हूँ

समानता,स्वतंत्रता और स्वछंदता में अंतर समझना अति आवश्यक

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) *********************************** कुदरत ने यह सृष्टि नर और मादा से निर्मित की है,दोनों के अधिकार और कर्तव्य एक-दूसरे के पूरक और बराबर हैं। नर-नारी दोनों एक-दूसरे के बिना अधूरे…

Comments Off on समानता,स्वतंत्रता और स्वछंदता में अंतर समझना अति आवश्यक

महके ओ हमजोली

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) *********************************** लगाए जख्म में मरहम,वही होती मधुर बोली।हँसाती,गुदगुदाती,छेड़ती,महके ओ हमजोली॥यूँ तो जीवन हुआ पतझड़,और काँटों भरी राहें।अगर मधुमास दिख जाए,तो समझो आ गई होली॥ परिचय-प्रख्यात कवि,वक्ता,गायत्री साधक,ज्योतिषी और…

Comments Off on महके ओ हमजोली