बचाई तितलियाँ हमने

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* सदा नफरत की लहरों पर उतारी कश्तियाँ हमने।ठिकाना जल गया बेशक बचाई बस्तियाँ हमने। जहाँ बेहाल जीना हो गया था सख्त कलियों का,जले थे हाथ बेशक पर बचाई तितलियाँ हमने। हवा बेदर्द होकर कर के अगर दीपक बुझाती थी,रखी थी बादलों से कुछ चुराकर बिजलियाँ हमने। जमी थी धूल रिश्तों पर … Read more

बरगद की घनी छाया पिता

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** बरगद की घनी छाया है पिता,छाँव में उसके भूलता हर दर्द। पिता करता नहीं दिखावा कोई,आँसू छिपाता अन्तर में अपने।तोड़ता पत्थर दोपहर में भी वो,चाहता पूरे हों अपनों के सपने।बरगद की घनी छाया है पिता,छाँव में उसके भूलता हर दर्द…॥ भगवान का परम आशीर्वाद है,पिता जीवन की इक सौगात है।जिनके सिर पे नहीं … Read more

इसके पहले कि हम…

डॉ.सोना सिंह इंदौर(मध्यप्रदेश)************************************** इसके पहले कि हम,भूल जाते अपनों कोदादी-नानी दादा-नाना को,काका-काकी,मामा-मामी कोरिश्तों में भाई-बहन,बुआ-भतीजेऔर मामा-भांजे को। इसके पहले कि हम,भूल जाते जीने वाले लम्हों कोखुलकर ठहाके लगाने वाले,मोहल्ले वालों कोदोस्तों और उनके घरवालों को,काॅलेज और स्कूल के बीते जमाने को। इसके पहले कि हम,भूल जाते अपने एहसासों कोबुजुर्गों के आर्शीवाद को,उनकी ममता,प्रेम और त्याग कोपरस्पर … Read more

सौंधी महक-सा घर

डॉ.सोना सिंह इंदौर(मध्यप्रदेश)************************************** कुछ दीवारें गारे मिट्टी की,कुछ दीवारें चूने सीमेंट कीकुछ दीवारें ईंट पत्थर की,हर दीवार में बसी थी खुशबू एक घर की। घर में जल रहा है चूल्हा,चूल्हे में पक रही है दालदाल कर रही है कमाल। कड़ाही में तेल और उसमें डाली पूरी,फूल गई पूरी किसी डांट पड़े बच्चे के गाल की तरह। … Read more

घर की शोभा नारी

सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़रदेवास (मध्यप्रदेश)****************************************** घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… मैंने अकेले रहते हुए,घर में हर सुख सुविधा जुटाईलेकिन-वो ख़ुशी कभी न पाई,जो माँ,बहिन,बेटी,बहू,पत्नी के रहने से होती है।सच पूछो तो घर कितना ही बड़ा हो,पर घर की शोभा नारी ही होती है॥ आलीशान महल बनाया,सुख-सुविधा का हर साधन जुटायानौकर,चाकर,गाड़ी,बंगला मुझे,वो ख़ुशी न दे पायाप्यारी बिटिया के खिलखिलाने … Read more

नहीं मिली कोई…

डॉ.सोना सिंह इंदौर(मध्यप्रदेश)************************************** पूरी दुनिया घूमकर आया,मैं सारा जग ढूंढकर आया। नहीं मिली कोई पीपल की छाँव मेरे गाँव जैसी,नहीं मिली कोई इमली की सौगात मेरे गाँव जैसी।नहीं मिली नीम की निंबोली मेरे गाँव जैसी,नहीं मिली कोई बावड़ी मेरे गाँव जैसी।पूरी दुनिया घूमकर आया,मैं सारा जग ढूंढकर आया…॥ नहीं मिली कोई माँ के जैसी ममता,नहीं मिली … Read more

प्रेम के चेहरे

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** प्रेम के तो चेहरे अनेक,जीवन में रस धार बहती। समेटे हैं चेहरे ये मनोहर,प्रेम ने खुद में ही कई है।रिश्तों की डोरी में बंधे,उनमें कोई नहीं नई है।माता का है नाम प्रथम,जग में चलना सिखाती। पिता का प्रेम चलता हैसाथ में सहारा बन कर।साथ उसके ही चलते हैं,देखो सारे जन हैं तन कर।फिर … Read more

कोरोना:अनुत्तरित प्रश्न…

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** आज भारत ही नहीं,पूरा विश्व ही इस कोरोना की चपेट में आया हुआ है। कितने घरों से तो पूरा परिवार ही साफ हो गया। कितने लोग ऐसे भी हैं, जो मंहगी दवाइयाँ खरीदते-खरीदते बर्बाद हो गए। किसी के जेवर बिके तो किसी के मकान औरदुकान तक बिक गए। कोई अपने किसी को बचाकर … Read more

ढाक के तीन पात

डॉ.सोना सिंह इंदौर(मध्यप्रदेश)************************************** बहुत पहले सुनी थी एक कहावत,कहा करते थे दादी और नानीहोते हैं ‘ढाक के तीन पात’,बाद में पिताजी ने पकड़ ली उनकी बात।कहते रहते हैं ढाक के तीन ही पात,हम सब हँसते ताना कसतेउन्हें कहते कुंए का मेंढक,कहते रहते तुम नहीं समझोगे।जब आई अपनी बारी,घूम आए दुनिया सारीयाद आई बात पुरानी,पिताजी ने पकड़ … Read more

जीवन-ज्योति

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** फैले सत्कर्मों का तेरे प्रकाश,चमके हरदम जैसे हो मोती। दीपक-सा बनकर उजियारा,राह दिखाना हर राही को।सूरज-सी तपिश हो मन में,हर काम तुम्हारा शाही हो।फैले सत्कर्मों का तेरे प्रकाश,चमके हरदम जैसे हो मोती॥ कीर्ति तेरी नभ को जा चूमे,बलिहारी ले जग यह सारा।कंटक पथ के चुनना काँटे,मत कहना कभी ये तू हारा।जीवनपथ पर जगमग … Read more