हमारी सोच पर निर्भर करता है-काम छोटा या बड़ा

सत्यम सिंह बघेल लखनऊ (उत्तरप्रदेश) *********************************************************** हमें लगता है कि एक चाय वाला,चालक,दर्जी,किसान,पान की दुकान वाला या फिर जूते पॉलिश करने वाला एक सीमा तक ही सफल हो सकते हैं। वह देश-दुनिया में पहचान दिलाने वाली एक बड़ी सफलता हासिल नहीं कर सकता,किन्तु ऐसा नहीं हैl यदि व्यक्ति सोच ले,ठान ले और दृढ़ संकल्पित हो … Read more

जो जोखिम लेते,वे रचते इतिहास

सत्यम सिंह बघेल लखनऊ (उत्तरप्रदेश) *********************************************************** खुद को आरामदायक स्थिति में बनाए रखने के लिए हम परिस्थितियों को ही वजह बनाते रहते हैं। कभी समय का अभाव,कभी भाग्य को दोष देना,तो कभी आर्थिक,शारीरिक,मानसिक स्थिति को ढाल बनाकर खुद को कमजोर साबित करते रहते हैं। सच तो यह है कि,हम भागते हैं, वास्तविकता से दूर भागते … Read more

बेटियाँ

डाॅ.आशा सिंह सिकरवार अहमदाबाद (गुजरात )  **************************************************************** जिन्होंने हमारी बेटियों को नोंच-नोंच खाया, अबोधिनी ने स्वयं को कितना अकेला पाया होगा रक्त से तर देह पर, न जाने कितने प्रहार सहे होंगे पीड़ा में काँपती जुबां ने, ‘माँ’ पुकारा होगाl नादान थी वह, अच्छे-बुरे का फर्क नहीं पहचानती थी आदमी और आदमी में भी अन्तर … Read more

ऊर्जा और शक्ति का उपयोग सही दिशा में कीजिए

सत्यम सिंह बघेल लखनऊ (उत्तरप्रदेश) *********************************************************** संसार में ऐसी कोई भी वस्तु नहीं,जिसकी प्राप्ति मनुष्य के लिए असम्भव हो। प्रयत्न और पुरुषार्थ से सभी कुछ पाया जा सकता है,किन्तु हम अपनी अधिकांश शक्ति तथा ऊर्जा को व्यर्थ की बातों और कामों में गवां देते हैं, जबकि हम अपनी ऊर्जा का सही दिशा में उपयोग करके … Read more

हिंदी भाषा का अपने क्षेत्रों में वर्चस्व जरुरी

प्रो.जोगा सिंह विर्क *************************************************************** शिक्षा नीति २०१९ के प्रारुप पर भाषा को लेकर बवाल…….. आदरणीय,वास्तविक समस्या यह है कि हिंदी विरोधियों का विरोध तो यह कहकर किया जाता है कि यह सब राजनीति है (जो बात बहुत हद तक सही है),पर हिंदी समर्थकों की राजनीति का विरोध नहीं किया जाता। हिंदी समर्थक हिंदी विरोधियों के … Read more

चुनौतियों से घबराएँ नहीं, सफलता के लिए सतत बढ़ते रहें

सत्यम सिंह बघेल लखनऊ (उत्तरप्रदेश) *********************************************************** बहती हुई नदी को देखिये,ध्यान से देखें और चिंतन कीजिये। नदी बहुत तेजी के साथ अपने उदगम स्थल से बहना शुरू करती है। शुरुआत में बहुत छोटा रूप होता है,बिल्कुल छोटा-सा रूप। छोटी-सी धारा के साथ बहना शुरू करती है,जैसे-जैसे आगे बढ़ती है उसका रूप विस्तृत होता जाता है,वह … Read more

सभी औरतें दलित हैं

डाॅ.आशा सिंह सिकरवार अहमदाबाद (गुजरात )  **************************************************************** “संसार की सभी औरतें दलित हैं” कमला कहाँ है ? ढूँढो! मिलेगी कहीं कीचड़ में, गाँव के बाहर कहीं निर्जन में समेटती, अपने लिए थोड़ी-सी छाँवl नहीं हो सकती लक्ष्मी को समर्पित, नहीं मेट सकती अपना दलिदर उसकी दलक बहुत है गहरीl रात की थाली में निश-दिन है … Read more

मन

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** मन पापी,मन दोगला,मन ही साँचा मीत, बैरी और कपटी भी मन,मन ही करता प्रीत। मोल दिये न मन मिले मन तो है अनमोल, मनो-मन,मन बेमोल है,कह प्रेम के बस दो बोल। जग तेरा बन जायेगा,रस प्रेम जगत में घोल, मन ही साँचा मीत रे… रब है मन में,मन … Read more

पर्यावरण बचाना है

सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़र देवास (मध्यप्रदेश) ******************************************************************************* विश्व पर्यावरण दिवस विशेष……………. सुनो भाइयों नारा ये जन-जन तक पहुँचाना है। पर्यावरण बचाना हमको, पर्यावरण बचाना है॥ आओ लगायें पौधे हम,ख़ूब बढ़ाएं हरियाली। करें वनों की पूर्ण सुरक्षा,वन उपजों की रखवाली। स्वच्छता का ध्यान रखें हम,बात ये सबको बताना है। पर्यावरण बचाना हमको… साफ़-स्वच्छ हो शहर हमारा, निर्मल … Read more

खिड़की खुली रहीं

डाॅ.आशा सिंह सिकरवार अहमदाबाद (गुजरात )  **************************************************************** खिड़की और दरवाजे, झाड़ते-पोंछते पता ही नहीं लगा, कि कब खुल गयीं खिड़कियाँ कब खुल गए दरवाजे, मेरे लिए। जंगलों की तरफ, रात-रात भागती कुम्हारिन कभी पिशाचिन बनती तो कभी बच्चों को, उठा ले जाने वाली डायन अंधेरे में टार्च और लाठी, नंगी आँखें सिर्फ एक औरत की … Read more