उपहार

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* ईश्वर ने जब इंसान को भेजा, धरती पर तो दिए अनन्त उपहार। ये धरती को स्वर्ग बनायेगा, और करेगा उसे भरपूर प्यार। उसने भी…

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अंतिम सफ़र

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* कभी ज़िंदगी के मेले देखे, कभी ग़मों के रेले देखे। जिंदगी के रंग हैं कई, कभी फीके,कभी तीखे देखे। ओ ओ ओ ओ ???…

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रस्में

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* रस्मों की जंजीरों से, हम सब हैं यूँ बंधे हुए। प्रीत के धागे में हों जैसे, फूल रंग-बिरंगे गुथे हुए। रस्मों-रिवाजों से समाज, आगे…

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तोहफ़ा

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* तोहफ़े में लाया दिल हूँ, जरा कबूल कीजिये। धड़कन तुम्हीं हो इसकी, ये जान लीजिए। जब सीमा पर हो दुश्मन, ललकारता हमें। तोहफ़े में…

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माँ

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… जीवन की पाठशाला की, सर्वोत्तम एकेडमी है माँ। शरीर में हम सबकी, रक्त-सी दौड़ती है माँ। जब समूचा ब्रह्मांड, उदघोष…

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रातभर

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* नींद आई न मुझको यूँ तेरे बिना, करवटें मैं बदलती रही रातभर। आसमां भी झुक के आता है देखो, धरा से मिलन को यहाँ…

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कत्लेआम

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* आज भावनाओं का भी देखो ऐसे कत्लेआम होता है। घर में मारकर बीबी को वो, बाहर खूब जोर से रोता है। ऐसे कत्लेआम... बेटी…

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नदियों को बचाना है

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* आओ मिलकर सोचें सब, नदियों को बचाना है। नदियों के उदगम में जाकर, जब तुम कचरा फैलाते हो। मौज-मस्ती करके सब तुम, जब अपने…

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सागर

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* सब नदियों का मीठा पानी, सागर में ही आता है। इसमें क्या गुण है ऐसा, जो ये खारा ही रह जाता है। मीलों तक…

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बिखरे रंग

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* इस होली पर हमने देखे सबके कैसे कैसे रंग। कुछ माथे,कुछ चेहरे पे चढ़े और कुछ घूमे वस्त्रों के संग। भर पिचकारी मारें बच्चे…

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