तू ही भगवान है

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’  गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) *********************************************************** कहीं खो न जाए, तेरी हसरतों में तेरे संग चलते-चलते, मचलते। जमाने की यादों में हमीं न पाऊँ तेरे कारवाँ को, सजाते बनाते। हमें गुमाँ है, तू ही मेरी जान है तुझसे ही मेरे, जिंदगी के अरमाँ अंदाज है, कहीं दम ना निकले तेरी धड़कनों से। तू ही आदमी … Read more

भारत का ललाट है कश्मीर

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* भारतवर्ष के ललाट पर निवास करने वाला काश्मीर वैसे ही शोभा को प्राप्त करता है, जैसे भगवती-सरस्वती की दोनों भू-लताओं के मध्य केसर की बिंदिया शोभा देती है। संस्कृत का शब्द है कश्मीर जिसका अर्थ है बिन्दी। सरस्वती का स्तोत्र मन्त्र है- “मुखे ते ताम्बूलं नयनयुगले कज्जलकला ललाटे काश्मीरं विलसति गले … Read more

दिल के झरोखे में तुझको बिठाकर…

कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’ इन्दौर मध्यप्रदेश) ********************************************* मो.रफी पुण्यतिथि विशेष-३१ जुलाई जीवन में हर इंसान के सामने कुछ ऐसे लम्हे आते हैं,जिन्हें भुनाकर वह लोकप्रियता के शीर्ष पर आ जाता है तो कभी ऐसे ही मौकों से विमुख हो पतन की और अग्रसर हो जाता है। यही स्वर सम्राट मोहम्मद रफी पर भी लागू होता है। … Read more

युद्ध लड़े जाते हैं बलिदान और राष्ट्रप्रेम से

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* कारगिल विजय दिवस स्पर्धा विशेष………. “या तो तू युद्ध में बलिदान देकर स्वर्ग को प्राप्त करेगा,अथवा विजयश्री प्राप्त कर पृथ्वी का राज्य भोगेगा।” गीता के इसी श्लोक को प्रेरणा मानकर भारत के शूरवीरों ने कारगिल युद्ध में दुश्मन को पाँव पीछे खींचने के लिए मजबूर कर दिया था। २६ जुलाई १९९९ … Read more

जीत की खुमारी

कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’ इन्दौर मध्यप्रदेश) ********************************************* कारगिल विजय दिवस स्पर्धा विशेष………. आसमां पर है तिरंगा जो जमीं से छा गया, जीत की थी जो खुमारी सब पे नशा छा गया। ढूंढते थे जो रवानी बाजूओं में दम भी था, दुश्मनों की छातियों को रौंदने का जज्बा उनके मन में था। जिसने भी मेरी धरा को … Read more

पराक्रम

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’  गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) *********************************************************** कारगिल विजय दिवस स्पर्धा विशेष………. पड़ जाता है मक्कारों से, जब भी पाला पता नहीं अंधेरा, कब हो जाये। निगल जाये दानव, मानवता युग सारा धोखा छल प्रपंच, शक्ति और सहारा झूठ-फरेब, द्वेष-दंभ हथियार।। नीयत का शैतान, रिश्तोें के रस में जहर घोलता। नित-नये पाखण्ड करता, अपने ही जन-जन … Read more

तुम मेरे कासिद हो,फ़रिश्ते हो

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* मैं तुम्हें इस तरह से प्रेम नहीं करती, जैसे मैं करती किसी हाड़-माँस के पुतले को। मैं तुम्हें इस तरह भी प्रेम नहीं करती, जिस तरह करती किसी देव को दिव्य गुणों से भरपूर। मैं तुम्हें प्रेम करती हूँ ऐसे- जैसे किसी बादल को,पेड़ को,नदी को झरने को,पहाड़ को या फिर … Read more

सूर्य आराधना

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’  गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) *********************************************************** श्रद्धा आराधन वंदन, नमन भावों से सृष्टि को, सूरज की भक्ति की शक्ति का युग सारा। तमस मिटाते युग का जीवन में उजियारा लाते, सबको भाते अवनी अंबर का अभिमान, उत्साह उमंग उल्लास ओज तेज, दिनकर दिवाकर को प्रणाम॥ अस्ताचल, उगता चल चलता चल हँसता चल। भुवन भास्कर, आशा … Read more

प्यार का नशा

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’  गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) *********************************************************** प्यार का नशा, यार के दीदार का नशा। नशा,नशा नहीं, मजा जिंदगी का।। कहीं दौलत का है गुरुर नशा, कहीं शोहरत का सुरूर नशा। हुस्न की हस्ती का नशा, इश्क की मस्ती का नशा। नशा,नशा है जिंदगी का, प्यार की बन्दगी का।। किसी को दानिश इल्म का नशा, किसी … Read more

अनजान प्रियतम

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* सुनो चन्द्र वट, अनजान प्रियतम! मैं रहूँ ना रहूँ… मैं दिखूँ ना दिखूँ, अपनी साँसों में..यादों में..बातों में…, इन हवाओं में..फिज़ाओं में…घटाओं में… बारिश की बूंदों में…, पत्तियों की सरसराहट में… सुबह की पहली किरण में.., दोपहर की अलसाई धूप में… सुरम‍ई-सी शाम की पुरवाई में…, चाँद की चाँदनी रात में… … Read more