कुल पृष्ठ दर्शन : 424

भारत का ललाट है कश्मीर

सारिका त्रिपाठी
लखनऊ(उत्तरप्रदेश)
*******************************************************
भारतवर्ष के ललाट पर निवास करने वाला काश्मीर वैसे ही शोभा को प्राप्त करता है, जैसे भगवती-सरस्वती की दोनों भू-लताओं के मध्य केसर की बिंदिया शोभा देती है। संस्कृत का शब्द है कश्मीर जिसका अर्थ है बिन्दी। सरस्वती का स्तोत्र मन्त्र है-
“मुखे ते ताम्बूलं नयनयुगले कज्जलकला
ललाटे काश्मीरं विलसति गले मौक्तिकलता।
स्फुरत् कांचीशाटी पृथुकटितटे हाटकमयी
भजामस्त्वां गौरीं नगपति किशोरीमविरतम्॥”
सारस्वत साधना का क्षेत्र रहा है-कश्मीर। यहाँ से फैला स्पन्दशास्त्र (शैवागम)आज विश्व को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। मैं आज भी केसर का ही तिलक लगाती हूँ। मागधी ताम्बूल,दक्षिणी समुद्र से निकली मोती की माला,कलकत्ता का काजल, कांजीवरम की साड़ी और कमर भाग में लटकती स्वर्ण की करधनी(तगड़ी)एक ओर देवी जी को सुशोभित करती है,तो दूसरी ओर विश्व को अपूर्व आश्चर्यकारी आनन्द भी देती है।
कलियुग के पांच हजार वर्ष बीतते ही भारत का मस्तक घायल हुआ,दोनों भुजाएं कट गईं और एक नकली नायक इस देश का प्रधानमंत्री बन गया,जो हर हाल में केवल इस देश को घाव देता रहा। आज बहत्तर वर्षों बाद भारत का मस्तक कश्मीर फिर से चमक उठा है। संसद भवन में गृहमंत्री का बयान है कि-“हम कश्मीर के लिए बलिदान हो जाएंगे”, बतला रहा है कि अर्जुन प्रबोध पा चुका है। अब कश्मीर के लिए यदि युद्ध हुआ तो वह भी लड़ लेगा।
कांग्रेस का हिन्दू द्रोह
अब जो कांग्रेस पार्टी संसद भवन में कर रही है,उसकी दुर्गति से हिन्दू जनता का मन अत्यन्त क्षुब्ध होता चला जा रहा है। कहीं ऐसा न हो कि,राजघाट समाधि स्थल की भूमि भी लोग मुक्त करने की मांग उठाने लगें। अब मुझे कांग्रेस पार्टी का भविष्य धारा(अनुच्छेद)३७० की तरह ही विखंडित दिख रहा है,जिसमें उसका अनिवार्य भाग तो रहेगा,शेष भाग नष्ट कर दिया जाएगा।
भारत को विजय की आदत डालनी ही होगी-
युद्ध छिड़ गया है,यह रुकेगा नहीं। यह बढ़ते हुए भारत को विस्तार देगा। भारत के भीतर भारत के शत्रुओं को पहचानना होगा। २०१९ अपना काम तेजी से कर रहा है। खंडित स्वप्न अब केवल रात्रि की नींद में ही नहीं दिखेगा, बल्कि अब वह खुली आँखों को सुहाना भी लगेगा। २०१९ भारत के लिए चक्रव्यूह के अनेक दरवाजों को तोड़ेगा,देखते चलिए। इस बार पार्थ ने सुभद्रा को सोने ही नहीं दिया। उसे रात भर बैठाए रखा। परिणाम हुआ अभिमन्यु को सातों व्यूह भेदने की विद्या ज्ञात हो चुकी है। भारत,काश्मीर के साथ लवपुरम तक के संकल्प को मन ही मन दुहराने लगा है। महाराजा रणजीतसिंह के शेरों ने छलांग लगानी आरम्भ कर दी है। कुल मिलाकर कहना गलत नहीं होगा कि,७० साल पुरानी भूल बनाम गलती को वर्तमान सरकार ने सुधारने की ऐतिहासिक पहल की है,जिससे राष्ट्रीय एकता-अखंडता को बल मिलेगा। देश के लिए यह खुशबू भविष्य में वाकई केसर साबित होगी।

परिचय-सारिका त्रिपाठी का निवास उत्तर प्रदेश राज्य के नवाबी शहर लखनऊ में है। यही स्थाई निवास है। इनकी शिक्षा रसायन शास्त्र में स्नातक है। जन्मतिथि १९ नवम्बर और जन्म स्थान-धनबाद है। आपका कार्यक्षेत्र- रेडियो जॉकी का है। यह पटकथा लिखती हैं तो रेडियो जॉकी का दायित्व भी निभा रही हैं। सामाजिक गतिविधि के तहत आप झुग्गी बस्ती में बच्चों को पढ़ाती हैं। आपके लेखों का प्रकाशन अखबार में हुआ है। लेखनी का उद्देश्य- हिन्दी भाषा अच्छी लगना और भावनाओं को शब्दों का रूप देना अच्छा लगता है। कलम से सामाजिक बदलाव लाना भी आपकी कोशिश है। भाषा ज्ञान में हिन्दी,अंग्रेजी, बंगला और भोजपुरी है। सारिका जी की रुचि-संगीत एवं रचनाएँ लिखना है।

Leave a Reply