पायल की पीड़ा
सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* मेरे पाँव की पायल भी, बेबस और मजबूर हो गयी… मुस्कुराने की चाहत थी, मगर उदास हो गयी। तुम्हारे इंतज़ार में यह, इस जहां से बेजार हो गयी है… खनकती इसकी सदा भी, दर्द के साज में बदल गई है। मचलती है बेपरवाह-सी, मगर एक आह भी संग आती है… आज … Read more