पायल की पीड़ा

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* मेरे पाँव की पायल भी, बेबस और मजबूर हो गयी… मुस्कुराने की चाहत थी, मगर उदास हो गयी। तुम्हारे इंतज़ार में यह, इस जहां से बेजार हो गयी है… खनकती इसकी सदा भी, दर्द के साज में बदल गई है। मचलती है बेपरवाह-सी, मगर एक आह भी संग आती है… आज … Read more

सिमटी जिंदगी

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’  गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) *********************************************************** क्या कहें कि ना कहें जिंदगी बता, रिश्तों के इस जहां में खोजता है एक रिश्ताl दुनिया की भीड़ रिश्तों के इस जहां में, ख्वाबों चाहतों सी दौड़ती है जिंदगी तन्हाll गम-ख़ुशी की जिंदगी, मुश्किल पल दो पल यकीन, याराना क्या करूँ कि ना करूँ जिंदगी, बता जिंदगी को … Read more

तुम जहाँ हो…

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* जिन अंधेरों से तुम गुजर रहे हो उन्हीं अंधेरों में, मैं अपने उजालों से झुलस रही हूँ। तुम जिन तनहाइयों में बिखर रहे हो उन्हीं तनहाइयों में, मैं अपने शोर से सिमट रही हूँ। तुम जिस बेबसी से गुजर रहे हो उन्हीं बेबसी में, मैं उम्मीदों को सहला रही हूँ। जीवन … Read more

माँ तू मेरी भगवान

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’  गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) *********************************************************** मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… माँ मैं जब तेरी कोख आया, तूने मेरे आने की खुशियों में अपने अरमानों से दुनिया में मेरी राह को सजाया, तू जननी है मेरी मेरे कर्मों की धुरी धन्य है। जब मैं दुनिया में आया तूने अपनी आँखों के काजल से, मेरी नज़र उतारी … Read more

माँ ही परिभाषा

कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’ इन्दौर मध्यप्रदेश) ********************************************* मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… हर परिभाषा माँ से होती, माँ ही हर परिभाषा होती। माँ प्रेम का शब्दकोश है, और विजय का जयघोष है। जल-जल कर वह दीप नवल-सी, पल में तम सारा हर लेती। तन के सारे दर्द छुपाती, माँ दुलराती बचपन-सी। जेठ दुपहरी सावन जैसी, माँ है … Read more

माँ मिली कंकाल में

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… कितनी हलचल होती होगी, जब अंतस का समुन्द्र उछलता होगाl किनारों से चोट खाकर, गंगा बनकर बहती होगीl आँसू आँखों में आये न होते, दिल का दर्द यूँ गया न होताl आँसू की कीमत पूछो उनसे, जिनके सर माँ के साये न होतेl देख कर बेटे के … Read more

ख़्वाहिश

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’  गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) *********************************************************** नजरों ने ही देखा हँसी ख़्वाब तेरा, चाहतों की कशमकश में मुस्कुराता चेहरा तेरा। जवाँ दौर में, तेरी मोहब्बत की हर हसरत का, लम्हा-लम्हा गुजरा, जवाँ दिल की धड़कन के ख़्वाब-ए-ख़्वाब रह गये, हकीकत में ज़िन्दगी कि यादों आफताब तेरा। छुप-छुपकर, तन्हाई में मुलाक़ात की आरजू, ज़िन्दगी की हँसी … Read more

तुम्हें पाने की आस

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* तुम हो मेरा वो क्षितिज, जो दूर होकर भी मुझसे कहता…मेरा है। तुम मानो ठहरे हो, इस उम्मीद में कि यूँ ही रोज चलते-चलते, मैं पहुँच सकूँ किसी रोज तुम तक, और पा सकूँ तुम्हें अपने पास,अपने साथ फिर भर उठूँ मैं तुम्हें अपने दामन में, जैसे भर उठते हैं अंधेरे … Read more

मुझे तुम याद आते हो

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* यूँ ही बिन मौसम की बरसातें मेरी छत पर टप-टप करती बूंदें जहन में जाने कैसी हुलस-सी, जब भर जाती हैं मुझे तुम याद आते हो…। घड़ी-घड़ी तुम्हारी राह तकती बेसब्र आँखें,हर शय में जब तुम्हें ही तलाशती हैं, मुझे तुम याद आते हो…। भीगे से मन की देहरी पर डेरा … Read more

सोचो ज़रा..

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष……… सोचो ज़रा… अगर हम पेड़ होते, जग को ठंडी छांह देते फल,पत्ते,लकड़ी भी, कितने उपयोगी होते…l नन्हीं चिरैया अगर होते, मीठी बोली से जग मोह लेते फूल होते तो रंगों से अपने, सजाते कितने मन आँगन खुशबूओं से भर देते जीवनl सोचो अगर…होते पवन जन-जन को … Read more