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ख़्वाहिश

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’ 
गोरखपुर(उत्तर प्रदेश)

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नजरों ने ही
देखा हँसी ख़्वाब
तेरा,
चाहतों की कशमकश में
मुस्कुराता चेहरा
तेरा।
जवाँ दौर में,
तेरी मोहब्बत
की हर हसरत का,
लम्हा-लम्हा
गुजरा,
जवाँ दिल की धड़कन
के ख़्वाब-ए-ख़्वाब
रह गये,
हकीकत में ज़िन्दगी
कि यादों
आफताब तेरा।
छुप-छुपकर,
तन्हाई में मुलाक़ात
की आरजू,
ज़िन्दगी की हँसी
ख़्वाब के इजहार
की आरजू
ज़िन्दगी की हँसी,
ख़्वाब के इज़हार
कि आरजू
इन्तजार तेरा।
मुस्कुराना तेरा,
जज्बे के
चाँद का
ख़्वाहिशों
के आसमाँ पे,
गुजरना तेरा।
दौड़ती ज़िन्दगी
के ख्वाबों
की चाँदनी,
यादों
की रौशनी बन,
गुजर
जाना तेरा।
जवाँ जज्बा नादां
नाजुक कमसिन,
कमसिन कसक ज़िन्दगी
में ख़्वाब तेरा।
मुददतों बाद
हुई मुलाक़ात,
फिर ना हुआ
इजहार जवाँ,
दौर के जज्बात
ख़्वाब दिल की,
यादों की दस्तक-सी
गुजरती
चली गई,
ज़िन्दगी के ख्वाबों
ख्वाहिशों,
ज़िन्दगी में
अनजान हुक-सी
रुसवा बन जाना तेरा ॥

परिचय-एन.एल.एम. त्रिपाठी का पूरा नाम नंदलाल मणी त्रिपाठी एवं साहित्यिक उपनाम पीताम्बर है। इनकी जन्मतिथि १० जनवरी १९६२ एवं जन्म स्थान-गोरखपुर है। आपका वर्तमान और स्थाई निवास गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) में ही है। हिंदी,संस्कृत,अंग्रेजी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री त्रिपाठी की पूर्ण शिक्षा-परास्नातक हैl कार्यक्षेत्र-प्राचार्य(सरकारी बीमा प्रशिक्षण संस्थान) है। सामाजिक गतिविधि के निमित्त युवा संवर्धन,बेटी बचाओ आंदोलन,महिला सशक्तिकरण विकलांग और अक्षम लोगों के लिए प्रभावी परिणाम परक सहयोग करते हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत,ग़ज़ल,नाटक,उपन्यास और कहानी है। प्रकाशन में आपके खाते में-अधूरा इंसान (उपन्यास),उड़ान का पक्षी,रिश्ते जीवन के(काव्य संग्रह)है तो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में भी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी लिखते हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-भारतीय धर्म दर्शन अध्ययन है। लेखनी का उद्देश्य-समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करना है। लेखन में प्रेरणा पुंज-पूज्य माता-पिता,दादा और पूज्य डॉ. हरिवंशराय बच्चन हैं। विशेषज्ञता-सभी विषयों में स्नातकोत्तर तक शिक्षा दे सकने की क्षमता है।

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