मैं भी पढ़ने जाता था

उमेशचन्द यादवबलिया (उत्तरप्रदेश) ************************************* मेरा विद्यार्थी जीवन स्पर्धा विशेष …….. मन भाए बचपन की यादें,मन के राग मैं गाता था,बचपन मेरा बड़ा निराला,मैं भी पढ़ने जाता था। अच्छा लगता मित्रों के संग में,कागज की नाव चलाता था,बचपन मेरा बड़ा निराला,मैं भी पढ़ने जाता था। पहले तो मन लगा नहीं था,रोते इधर-उधर भग जाता था,बचपन मेरा बड़ा … Read more

अतुलनीय पिता जी

उमेशचन्द यादवबलिया (उत्तरप्रदेश) ************************************ ‘पिता का प्रेम, पसीना और हम’ स्पर्धा विशेष….. आओ मेरे प्यारे मित्रों,दिल की बात बताता हूँ,पिता जी मेरे परम हितैषी,गाथा उनकी गाता हूँ।करतब उनका लिख ना पाऊँ,माथा मैं नवाता हूँ,आओ मेरे प्यारे मित्रों,दिल की बात बताता हूँ॥ अगर पिता जी कहीं भी जाते,खाली हाथ ना आते थे,फल या मिठाई जो भी होता,घर … Read more

अब राह दिखाए कौन…?

उमेशचन्द यादवबलिया (उत्तरप्रदेश) ****************************************** मुश्किल में मैं पड़ा हे माधव!बोलूँ या रहूँ मैं मौन,मझधार में पड़ी मेरी धर्म की नैया-अब पार लगाए कौन…? तुम बिन मेरा ना कोई माधव!खुद ना जानूँ मैं हूँ कौन,सभी यहाँ मायूस पड़े हैं-अब हँसे-हँसाए कौन…? जीवन लगता जंजाल है माधव!इससे मुक्ति दिलाए कौन,धर्म-अधर्म सब उलझ गए हैं-अब इन्हें सुलझाए कौन…? कहे … Read more

माँ की महिमा अपरम्पार

उमेशचन्द यादवबलिया (उत्तरप्रदेश) *************************************************** सुनो हे माता शेरावाली,अरज़ करुं मैं बारम्बार,‘उमेश’ पर रखना दया की दृष्टि,महिमा तेरी अपरम्पार। हे माता ममतामयी हो तुम,मैं तो खड़ा तुम्हारे द्वार,खाली है मेरी झोली मैया,महिमा तेरी है अपरम्पार। भर दो हे माता झोली मेरी,भरा पड़ा है तेरा भंडार,भक्त की रख लो लाज हे माता,महिमा तेरीअपरम्पार। बीच भँवर फंसी जीवन नैया,जननी … Read more

खत्म किया जाए साल २०२०

नवेन्दु उन्मेषराँची (झारखंड) ********************************************************************* बाबा बोतलदास की गप्प गोष्ठी में साल २०२० पर चर्चा चल रही थी। गोष्ठी में मौजूद प्रत्येक व्यक्ति साल २०२० की समीक्षा अपने-अपने ढंग से कर रहा था। एक ने कहा कि,यार लगता है कि विश्व के लोगों ने साल २०२० के जश्न को ठीक से नहीं मनाया। इससे पहले जितने … Read more

सड़क रे,जरा शीतल हो जा

उमेशचन्द यादवबलिया (उत्तरप्रदेश) *************************************************** सड़क रे,जरा शीतल हो जा,मजदूर आ रहे हैं शहर से भागे जान बचाकर, रोज़ी-रोटी सब कुछ गँवा कर बिन खाये बिन पानी चलते, भूखे पेट को हाथ से मलते आस टूटी रेल और बस की तो, पैदल ही चले थकान से,चकनाचूर आ रहे हैं। सड़क रे,जरा शीतल हो जा,मजदूर आ रहे हैं… … Read more

गाँव जा रहा गाँव

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** रेल की पटरी पर चलते नंगे पाँव, देखो आज शहर से गाँव जा रहा है गाँव पसीने में लथपथ धूल भरी रोटी, भूख बड़ी गठरी पड़ी छोटी चिलचिलाती धूप में चलते, चाह कर भी आराम ना करते खोजता फिरे इंसानियत की छाँव, देखो आज शहर से गाँव जा रहा है … Read more

गाँव हमारा सबसे प्यारा

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** गाँव हमारा सबसे प्यारा,चलो गाँव अब लौट चलें, वहाँ की बात निराली हरदम,चलो मान उसका रख लें। अपने गाँव की माटी से हम तो,कभी दूर ना जाएंगे, खून-पसीना एक करके हम,गाँव को स्वर्ग बनाएंगे। लँगोटिया यारों के संग में,मस्ती खूब उड़ाएंगे, सुबह-शाम जो काम करें तो,चैन की रोटी खाएंगे। घर … Read more

मजदूर की रोटी

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** अपनी व्यथा कहूँ मैं किससे,उमर हो गई छोटी, सारी दुनिया बंद पड़ी है,कैसे चलेगी रोज़ी-रोटी। रीढ़ की हड्डी हम हैं लेकिन,लगता है यह टूटेगी, रोज़ी-रोटी के अभाव में,काया यहीं पे छूटेगी। फैली महामारी धरा पर,रैना बड़ी भोर है छोटी, मैं मजदूर सड़क पर बैठा,खोजता रहता रोज़ी-रोटी। समय का मारा मैं … Read more

समाज के प्रति हमारा कर्तव्य जरुरी

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** सामाजिक सम्बन्ध और दूरी स्पर्धा विशेष……….. संपूर्ण जीव-जगत में मनुष्य को ही सर्वश्रेष्ठ जीव माना जाता है,और मनुष्य ने अपनी प्रतिभा के प्रदर्शन से यह सिद्ध भी कर दिया है कि इस धरा पर उसके जैसा ज्ञानी और समर्थ दूसरा कोई जीवधारी नहीं है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज से … Read more