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गाँव हमारा सबसे प्यारा

उमेशचन्द यादव
बलिया (उत्तरप्रदेश) 
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गाँव हमारा सबसे प्यारा,चलो गाँव अब लौट चलें,
वहाँ की बात निराली हरदम,चलो मान उसका रख लें।

अपने गाँव की माटी से हम तो,कभी दूर ना जाएंगे,
खून-पसीना एक करके हम,गाँव को स्वर्ग बनाएंगे।

लँगोटिया यारों के संग में,मस्ती खूब उड़ाएंगे,
सुबह-शाम जो काम करें तो,चैन की रोटी खाएंगे।

घर की गैया,भेड़-बकरियाँ,साथ में रोज चराएंगे,
मित्रों के संग ताल-तलैया,पोखर में खूब नहाएंगे।

खेत-सड़क पर चिका-कबड्डी,खेल के मन बहलाएंगे,
दादा-दादी और मात-पिता के,हम सर का बोझ हटाएंगे।

खेत-खलिहान में पशु-पक्षी का,हरदम पेट भरेंगे हम,
दीन-दुखियों,संतों की सेवा में,पीछे होंगे नहीं कदम।

कहे ‘उमेश’ ग्रामवासियों से,मन में कभी ना लाना खेद,
मिलकर सभी साथ में रहना,करना नहीं आपसी भेद।

उमेश की बात को गाँठ बाँध लो,सत्य अहिंसा मन में साध लो,
मान करो गुरु मात-पिता का,साक्षात देव ये ही हैं जान लो॥

परिचय–उमेशचन्द यादव की जन्मतिथि २ अगस्त १९८५ और जन्म स्थान चकरा कोल्हुवाँ(वीरपुरा)जिला बलिया है। उत्तर प्रदेश राज्य के निवासी श्री यादव की शैक्षिक योग्यता एम.ए. एवं बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण है। आप कविता,लेख एवं कहानी लेखन करते हैं।अलकनंदा साहित्य सम्मान,गुलमोहर साहित्य सम्मान आदि प्राप्त करने वाले श्री यादव की पुस्तक ‘नकली मुस्कान'(कविता एवं कहानी संग्रह) प्रकाशित हो चुकी है। इनकी प्रसिद्ध कृतियों में -नकली मुस्कान,बरगद बाबा,नया बरगद बूढ़े साधु बाबा,हम तो शिक्षक हैं जी और गर्मी आई है आदि प्रमुख (पद्य एवं गद्य)हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-सामाजिक जागरूकता फैलाना,हिंदी भाषा का विकास और प्रचार-प्रसार करना है।

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