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माँ की महिमा अपरम्पार

उमेशचन्द यादव
बलिया (उत्तरप्रदेश) 
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सुनो हे माता शेरावाली,अरज़ करुं मैं बारम्बार,
‘उमेश’ पर रखना दया की दृष्टि,महिमा तेरी अपरम्पार।

हे माता ममतामयी हो तुम,मैं तो खड़ा तुम्हारे द्वार,
खाली है मेरी झोली मैया,महिमा तेरी है अपरम्पार।

भर दो हे माता झोली मेरी,भरा पड़ा है तेरा भंडार,
भक्त की रख लो लाज हे माता,महिमा तेरी
अपरम्पार।

बीच भँवर फंसी जीवन नैया,जननी इसे लगा दो पार,
तुम बिन और ना दूजा मेरा,महिमा तेरी है अपरम्पार।

तुम माता मैं पुत्र तुम्हारा,यह तो जाने सब संसार,
आँचल में दे दो आश्रय मुझको,महिमा तेरी अपरम्पार।

हे माता नव रुप तुम्हारे,दुष्टों का तुम करती संहार,
कीर्ति तुम्हारी तीनों लोकों में,महिमा तेरी है अपरम्पार।

माँ की महिमा माँ ही जानें,बालक है सारा संसार,
कहे ‘उमेश’ मैं अबोध बालक,महिमा तेरी है अपरम्पार।

पूजा-पाठ की विधि ना जानूँ,कैसे करुँ मैं मंत्रोच्चार,
सच्चा भाव स्वीकार करो माँ,महिमा तेरी है अपरम्पार।

गलती मुझसे हो जाए तो,कम मत करना अपना प्यार,
माफ़ करो उमेश को माता,महिमा तेरी है अपरम्पार॥

परिचय–उमेशचन्द यादव की जन्मतिथि २ अगस्त १९८५ और जन्म स्थान चकरा कोल्हुवाँ(वीरपुरा)जिला बलिया है। उत्तर प्रदेश राज्य के निवासी श्री यादव की शैक्षिक योग्यता एम.ए. एवं बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण है। आप कविता,लेख एवं कहानी लेखन करते हैं।अलकनंदा साहित्य सम्मान,गुलमोहर साहित्य सम्मान आदि प्राप्त करने वाले श्री यादव की पुस्तक ‘नकली मुस्कान'(कविता एवं कहानी संग्रह) प्रकाशित हो चुकी है। इनकी प्रसिद्ध कृतियों में -नकली मुस्कान,बरगद बाबा,नया बरगद बूढ़े साधु बाबा,हम तो शिक्षक हैं जी और गर्मी आई है आदि प्रमुख (पद्य एवं गद्य)हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-सामाजिक जागरूकता फैलाना,हिंदी भाषा का विकास और प्रचार-प्रसार करना है।

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