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महाराणा प्रताप की पुकार और हल्दी घाटी का संदेश

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’
इन्दौर(मध्यप्रदेश)
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‘महाराणा प्रताप और शौर्य’ स्पर्धा विशेष……….


जब राष्ट्र संकटकाल में हो,तो हर को नागरिक सैनिक हो जाना चाहिए। महाराणा और मुगलों के संघर्ष में उनके अपने भी अकबर के चरणों की धूल चाट रहे थे,परंतु महाराणा की अपनों की परिभाषा रक्त सम्बन्ध और रिश्तेदारी से परे थी,जो देश का नहीं,वो मेरा कैसे हो सकता है ? जब महाराणा अपना सब-कुछ दाँव पर लगा कर राष्ट्रपथ पर बढ़ रहे थे तब राष्ट्रपक्ष में भीलों ने भी स्वयं को आत्माहुति हेतु प्रस्तुत किया। पुंजा भील के नेतृत्व में महाराणा की सेना में शामिल हुए इन लोगों को महाराणा ने राणा पुंजा कह कर सम्मानित किया,समायोजित किया।भामाशाह ने न सिर्फ तिजोरियां खोली,बल्कि तलवारें भी उठाई। महाराणा के नेतृत्व में राज्य में निवासरत सभी ३६ जातियां और तीन पीढ़ियाँ एकसाथ लड़ रही थी ।
“इतिहास साक्षी है कभी भी परकीय सत्ता की विजय इसलिए नहीं हुई कि हम कमजोर थे बल्कि इसलिए हुई क्योंकि समाज के बड़े तबके को हमने लड़ने के अधिकार से वंचित कर दिया था।”
हल्दी घाटी का युद्ध और महाराणा का संघर्ष सन्देश देता है कि,देश सबका है। समय आने पर बच्चा-बच्चा सैनिक होना चाहिए और शांतिकाल में राष्ट्र की व्यवस्थाओं का संचालन सब मिलकर करें। मेवाड़ के राज्य चिन्ह में एक ओर भील है तो दूसरी ओर क्षत्रिय,यह सर्वसमावेशी व्यवस्था और सर्वस्पर्शी विकास से सशक्त राष्ट्र की ओर बढ़ने के संकल्प का पुनर्स्मरण कराती है। यह ध्येय धारण करना ही महाराणा को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

परिचय-डॉ. वंदना मिश्र का वर्तमान और स्थाई निवास मध्यप्रदेश के साहित्यिक जिले इन्दौर में है। उपनाम ‘मोहिनी’ से लेखन में सक्रिय डॉ. मिश्र की जन्म तारीख ४ अक्टूबर १९७२ और जन्म स्थान-भोपाल है। हिंदी का भाषा ज्ञान रखने वाली डॉ. मिश्र ने एम.ए. (हिन्दी),एम.फिल.(हिन्दी)व एम.एड.सहित पी-एच.डी. की शिक्षा ली है। आपका कार्य क्षेत्र-शिक्षण(नौकरी)है। लेखन विधा-कविता, लघुकथा और लेख है। आपकी रचनाओं का प्रकाशन कुछ पत्रिकाओं ओर समाचार पत्र में हुआ है। इनको ‘श्रेष्ठ शिक्षक’ सम्मान मिला है। आप ब्लॉग पर भी लिखती हैं। लेखनी का उद्देश्य-समाज की वर्तमान पृष्ठभूमि पर लिखना और समझना है। अम्रता प्रीतम को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाली ‘मोहिनी’ के प्रेरणापुंज-कृष्ण हैं। आपकी विशेषज्ञता-दूसरों को मदद करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिन्दी की पताका पूरे विश्व में लहराए।” डॉ. मिश्र का जीवन लक्ष्य-अच्छी पुस्तकें लिखना है।

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