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राष्ट्रभाषा हिन्दी एवं देवनागरी लिपि में महात्मा गाँधी के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता

नागदा (मप्र)।

गाँधी जी का परिवर्तन का तरीका अहिंसात्मक सत्याग्रह रहा है। विश्व के बापू और भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी इन्दौर शहर में मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति में राष्ट्रभाषा हिन्दी एवं देवनागरी लिपि के समारोह में उपस्थित हुए थे। गाँधी जी आज भी प्रेरणा बने हुए हैं। महात्मा गाँधी द्वारा राष्ट्रभाषा हिन्दी एवं देवनागरी लिपि के योगदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता।
यह सारगर्भित उद्बोधन राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के जयन्ती समारोह में विशिष्ट वक्ता हरेराम वाजपेयी (अध्यक्ष हिन्दी परिवार, इन्दौर) ने राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय ई-संगोष्ठी में दिया।
विशिष्ट अतिथि डॉ. शहाबुद्दीन नियाज़ मोहम्मद शेख ( पुणे) ने अपने वक्तव्य में कहा कि महात्मा गाँधी हिन्दी और खादी के प्रबल समर्थक रहे।
मुख्य अतिथि श्रीमती आर्यामा सान्याल (निदेशक-विमानपत्तन प्राधिकरण,इन्दौर) ने कहा कि गाँधीजी ने कहा मेरा जीवन मेरा संदेश। उपवास,अहिंसा समर्थन,ऐसे गांधी को नमन। जो सूर्य की भांति अपनी रोशनी से पूरे जग को जगमगा रहे हैं।
प्रमुख अतिथि पोलैंड के डॉ. सुधांशु शुक्ला ने कहा कि गाँधी कल भी,आज भी और भविष्य में भी प्रासंगिक रहेंगे। सम्पूर्ण विश्व में गांधीजी का सम्मान है।
मुख्य वक्ता एवं विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक डॉ. शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा कि,गांधीजी का आदर्श हमारे जीवन में आमुल-चूल परिवर्तन कर सकता है। हमारा जीवन सरल,सादगीपूर्ण, अहिंसक एवं सभी सुखी हों,तभी हम प्रगति कर सकते हैं।
जापान की विदुषी डॉ. रमा शर्मा ने गाँधी जी के विचारों की कवितामयी प्रस्तुति दी।अध्यक्षता करते हुए ब्रजकिशोर शर्मा और संस्था के महासचिव एवं संयोजक डॉ. प्रभु चौधरी ने भी बात रखी।
संगोष्ठी में डॉ. शम्भू पंवार,डॉ. भरत शेणकर,डॉ. मुक्ता कौशिक,डॉ. जी. डी. अग्रवाल,श्वेता गुप्ता एवं श्रीमती लता जोशी ने भी विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर अनिल ओझा,डॉ. आशीष नायक,निक्की शर्मा,डॉ. जय भारती चन्द्राकर एवं डॉ. समीर सैय्यद उपस्थित रहे। डॉ. रोहिणी डावरे ने गीत प्रस्तुत किया। कवितामय संचालन रागिनी शर्मा ने किया। आभार डॉ. चौधरी ने माना।

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