कुल पृष्ठ दर्शन : 187

You are currently viewing जीवन के सवाल

जीवन के सवाल

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

**************************************************

तुम ही साँसें तुम ही धड़कन,जीवन की भगवन…,
जीवन की भगवन।
कण-कण में रहते हो फिर भी,दिखते ना भगवन…
दिखते ना भगवन।

हम सब जीते जीवन जब तक साँस और धड़कन,
पर ये भी तुम जैसी,दिखतीं न साँस और धड़कन।
हमको भी तो गिनती इनकी बतला दो भगवन,
बतला दो भगवन।
तूम ही साँसें…

जीवन की परछाई सुख-दु:ख बनकर रहते,
हँस कर या फिर रोकर इनको हम सब सहते।
हँसना रोना कब-कब किसको,कुछ कह दो भगवन,
कुछ कह दो भगवन।
तुम ही साँसें…

खुद को ना पहचाने,चाहें सबको जाने,
सब कुछ होता फिर भी,मन सबको कम माने।
कैसी लीला,कैसी दुनिया,क्यूँ ऐसा है मन…,
कुछ कह दो भगवन।
तुम ही साँसें…॥

परिचय-हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।

Leave a Reply