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पाप का होगा अवश्य अंत

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड) 
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कथा है स्वर्ग सभा की,सुनो लगाकर ध्यान,
बैठे थे स्वर्ग सभा में सभी देवता महान।
ब्रह्मा,विष्णु और उपस्थित थे महेश,
वार्ता से चिंतित हुए थे गजानन गणेश॥

खड़े हो ब्रह्मा बोले-हे कृपा निधान,
मेरी सर्वोत्तम सृष्टि है यह इंसान।
पर अब हो गया हूँ इनसे परेशान,
संकट में आया अब मेरा विधान॥

मेरे नियमों की करते नहीं परवाह,
सत्य छोड़ असत्य में बढ़ाते चाह।
शासक गरीबी छोड़ गरीबों को मिटाते,
वादा करते पर कभी उसे नहीं निभाते॥

शिष्य,गुरु की बातों पर ना देते ध्यान,
पुत्र भी पिता को अब समझता अज्ञान।
सर्वत्र घटने लगा है संस्कारों का मान,
सोचो कैसे करूँ मैं मानव कल्याण॥

अब खड़ी हो बोली माता सरस्वती,
इधर मेरी भी कुछ ऐसी ही है गति।
नाम मात्र के लोग लगाते हैं ध्यान,
स्वयं को भगवान समझने लगे इंसान॥

सूर्यदेव बोले-अब मैं भी हूँ निराश,
इंसानों से उठने लगा है विश्वास।
देता हूँ सबको एक समान प्रकाश,
प्रदूषण फैला वे तोड़ रहे हैं साँस॥

विष्णु जी बोले-मैं भी हूँ बहुत हैरान,
मानव बनाने लगे हैं कृत्रिम चावल धान।
सुनो सभी बात मेरी लगाकर ध्यान,
ऐसे में मानव का होगा नहीं कल्याण॥

सबकी बात सुन बोले महेश,
सभी मन से निकालो भय-द्वेष।
माना बुरे लोगों से भरा है देश,
पर अच्छे लोग भी बचे हैं शेष॥

जिस दिन अच्छे लोग होंगे साफ,
सर्वत्र बढ़ जाएगा पाप ही पाप।
मैं नेत्र खोलकर करूँगा संहार,
अंत कर दूँगा पाप का व्यापार॥

वचन के साथ हुआ सभा का अंत,
सबके मन में ज्ञान आया तुरंत।
पाप का अवश्य होगा ही अंत,
सत्य का साथ रहेगा युग पर्यंत॥

परिचय–साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैL जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैL भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैL साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैL आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैL सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंL लेखन विधा-कविता एवं लेख हैL इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैL पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंL विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।

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