अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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नशे के धुंए में धधकता ये कैसा संसार है,
चकाचौंध में देह लूटता ये फिल्मी व्यापार है।
जब काम के बदले देह का गढ़ता है किस्सा,
बन जाता है ‘अनुराग’ इसी का ताजा हिस्सा।
वक्त है फिर जिम्मेदार मालिकों के जागने का,
बॉलीवुड की थाली-गंदगी को मांजने का।
फैल रही गंदगी की बहुत जरूरी है सफाई,
बता चुके अब तो कई चेहरे सिनेमा की सच्चाई।
रवि,रुपा,शेखर,पायल,बोले दबंग कंगना,
सार्थक कोशिश से ही साफ होगा अँगना॥