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तभी सुखी,जब मिल के रहते हैं

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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घर-परिवार स्पर्धा विशेष……

सुना रही हूँ आज मैं कहानी घर परिवार की,
सुन्दर रीत है सभी जगह,हर घर संसार की।

घर परिवार में भाई-भाई मिलजुल कर सभी रहते हैं,
अपने-अपने माता-पिता की सेवा बहुत ही करते हैं।

हरेक घर में श्री शिव गुरु के,चर्चे खूब होते हैं,
सत्यनारायण की कथा को ध्यान से सब सुनते हैं।

घर-घर में शिक्षा-दीक्षा का,जोर-शोर से प्रचार है,
घर परिवार में बुजुर्ग का,आदेशों का अधिकार है।

घर मन्दिर समान है,बड़े-बुजुर्ग देव के स्वरूप हैं,
हर घर में मान्यता है जो हमारे श्री गुरु के रूप हैं।

घर परिवार में बहूएं अपना सब फर्ज निभाती हैं,
सेवा करती सास-ससुर का चरण रोज दबाती हैं।

जेठ-जेठानी को सिर झुकाती,सभी काम करती हैं,
घर आए जो भी अतिथि,सत्कार से नहीं डरती हैं।

घर परिवार के सभी पुरुष अपना फर्ज निभाते हैं,
समय-समय पर काम करना,समय से घर जाते हैं।

घर संसार तभी सुखी रहता,जब सब मिल के रहते हैं,
वाद-विवाद होने पर भी,वह मन में धीरज रखते हैं।

घर को मंदिर बनाना है परिवार को देव समझना है,
विनती करती ‘देवन्ती’ जन-धन सम्भाल के रखना है॥

परिचय-श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।

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