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कोई पूछे तो बतलाएँ

सरफ़राज़ हुसैन ‘फ़राज़’
मुरादाबाद (उत्तरप्रदेश)
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मुहब्बत किसको कहते हैं कोई पूछे तो बतलाएँ।
के चाहत किसको ‘कहते हैं कोई पूछे तो बतलाएँ।

नज़र’ जब से मिली उस ‘से अजब-सा हाल है दिल का,
निशाना हो गया आख़िर यह दिल उस शौख़ क़ातिल का।
लगी जब चोट ‘दिल पर तो समझ ‘में आ गया हमको,
क़यामत ‘किसको कहते हैं कोई ‘पूछे बतलाएँ।
मुहब्बत किसको कहते हैं कोई पूछे’ तो बतलाएँ।

उड़ी है नींद आँखों की सुकून-ओ-चैन खोया’ है,
ख़ुद’ अपने हाल पर अकसर ‘दिल-ए-बीमार रोता है।
लुटे जब इश्क़ में हम तो हुआ यह तजरिबा हमको,
मुसीबत ‘किसको कहते हैं कोई पूछे ‘तो बतलाएँ।
मुहब्बत किसको कहते हैं कोई पूछे ‘तो बतलाएँ।

वो जब तक दूर थे तो दिल बड़ा नाशाद था अपना,
नज़र में ‘हर घड़ी रहता था उनकी दीद का सपना।
गले आ कर वो जब हमसे मिले तो हम समझ पाए,
के फ़रह़त किसको कहते हैं कोई पूछे तो बतलाएँ।
मुहब्बत किसको कहते हैं कोई पूछे ‘तो बतलाएँ।

मुहब्बत किसको कहते हैं कोई पूछे ‘तो बतलाएँ।
के चाहत ‘किसको कहते हैं कोई पूछे तो ‘बतलाएँ।

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