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शहजादे की आँखें आई,गाँव में धुआं मत करो!

डॉ.अरविन्द जैन
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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ट्रम्प साहब का दौरा…………….
राजकुमार को आँखों का रोग हो गया तो राजा ने मुनादी कराई कि,राजधानी में धुआं नहीं होना चाहिए कारण राजकुमार को आँखें आई हैं। इस पर प्रधानमंत्री ने राजा को सलाह दी कि,एक के पीछे कितने जन परेशान होंगे,क्यों न राजकुमार को राजधानी से बाहर भेज दिया जाए! तो राजा ने कहा बहुत उपयुक्त सलाह है।
इसी प्रकार एक राजा को अपनी राजधानी और राज्य में पैदल घूमने की आदत थी। जब वह नंगे पाँव घूमने निकले तो उनको पाँव में घाव हुए तो उन्होंने हुकुम जारी किया कि पूरे राज्य और राजधानी में रबर की सड़कें बनवाई जाए,तब हमारे देश जैसे चतुर प्रधानमंत्री बोले-महाराज आप अपने पैरो में कपड़ा क्यों नहीं लपेट लेते हो! तब राजा को प्रधानमंत्री की अक्ल पर बहुत प्रसन्नता हुई। उसके बाद ही जूतों का चलन शुरू हुआ होगा।
इसी प्रकार हमारे देश में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प क्या आ रहे,मानो अहमदाबाद शहर पर वज्राघात टूट पड़ा हो। यानी ट्रम्प को हमारे चतुर प्रधानमंत्री यह बताने और समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि,हमारा देश अमेरिका जैसा ही विकसित है। जब जैसा विकसित है तो उसको दिखाना चाहिए,या छुपाना चाहिए!
चीन की दीवार बनाई जा रही है,एक सप्ताह पहले से पूरा मार्ग आवागमन के लिए बंद,पान की दुकानें बंद,शहर में कुत्ता नहीं मिलना चाहिए, ना ही नील गाय। यानी राजा के लिए राजधानी दुल्हन जैसे सज़ रही है,जैसे उससे शादी होने वाली हो। यह बहुत जायज़ बात है कि,बहुत शक्तिशाली और सम्पन्नतम शासक का आना बहुत महत्व रखता है,और उसे भारत की जानकारी पहले से है। क्या वे गूगल से भारत की नंगी तस्वीर नहीं देख सकते हैं! बड़ा आदमी यदि हमारी गरीबी देख लेगा तो हमें कुछ उपकृत कर सकेगा, इसके लिए कितनी सुरक्षा,पता नहीं। हमारे देश में भगवानों के लिए इतनी सुरक्षा की जरुरत नहीं पड़ती,पर चलित भगवान जैसे राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री,मुख्यमंत्री यहाँ तक कि कलेक्टर आदि से मिलने में हफ़्तों लग जाते हैं। उसके बाद भी दर्शन नहीं होते, जबकि महाकाल के दर्शन सुगम और सरल हैं।
एक नन्हीं-सी जान के लिए कितनी व्यवस्था,पता नहीं वे या तो हाड़-माँस के नहीं बने हैं,जैसे हम लोग या अमूल बटर के,कहीं पिघल न जाएँ। विचार करें कि झूठी शान बघारने से कितना अपव्यय,क्या मिलना है। मेरा अनुरोध है कि,ऐसा स्वागत हर राजधानी और शहर में किया जाए,जिससे शहरों की गरीबी दूर हो जाएगी। जनता से तो कुछ नहीं होना है,उनका जन्म तो मरने के लिए ही होता है,नेता अजर-अमर जो होते हैं।

परिचय- डॉ.अरविन्द जैन का जन्म १४ मार्च १९५१ को हुआ है। वर्तमान में आप होशंगाबाद रोड भोपाल में रहते हैं। मध्यप्रदेश के राजाओं वाले शहर भोपाल निवासी डॉ.जैन की शिक्षा बीएएमएस(स्वर्ण पदक ) एम.ए.एम.एस. है। कार्य क्षेत्र में आप सेवानिवृत्त उप संचालक(आयुर्वेद)हैं। सामाजिक गतिविधियों में शाकाहार परिषद् के वर्ष १९८५ से संस्थापक हैं। साथ ही एनआईएमए और हिंदी भवन,हिंदी साहित्य अकादमी सहित कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। आपकी लेखन विधा-उपन्यास, स्तम्भ तथा लेख की है। प्रकाशन में आपके खाते में-आनंद,कही अनकही,चार इमली,चौपाल तथा चतुर्भुज आदि हैं। बतौर पुरस्कार लगभग १२ सम्मान-तुलसी साहित्य अकादमी,श्री अम्बिकाप्रसाद दिव्य,वरिष्ठ साहित्कार,उत्कृष्ट चिकित्सक,पूर्वोत्तर साहित्य अकादमी आदि हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी अभिव्यक्ति द्वारा सामाजिक चेतना लाना और आत्म संतुष्टि है।

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