कुल पृष्ठ दर्शन : 228

You are currently viewing तनिक शर्म करो

तनिक शर्म करो

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’
बरेली(उत्तर प्रदेश)
*************************************************************************
तनिक शर्म करो,शाहीन बाग के गद्दारों,
देशभक्त कहते खुद को,पहले देशभक्ति का पाठ पढ़ो।
किस अधिकार की बात हो करते,चाहिए कौन-सी आजादी!
एनपीआर,सीएए का सबक तो पहले याद करो।
देशभक्त कहो खुद को,कोई तो ऐसा काम करो,
साबित करना है खुद को,निर्भया की माँ का इंसाफ करो।
आसान बहुत है मुफ्त बिरयानी खाना,
हो अगर सच्चे हिंदुस्तानी,धरना-प्रदर्शन उस माँ के साथ करो।
इंसाफ मिले हर निर्भया को,ऐसा कुछ बदलाव करो,
ओ लोकतंत्र के हत्यारों,गणतंत्र का कुछ तो मान करो।
क्यों बार बार फाँसी के फंदे से,दोषी जाकर लौटा है,
ओ कानून के दलालों,अब न दोषियों को माफ करो।
कर एनकाउंटर उन दुष्टों का,खाकी वर्दी का मान धरो,
देशभक्त कहने वालों,थोड़ी-सी तो शर्म करो॥

परिचय–गीतांजली वार्ष्णेय का साहित्यिक उपनामगीतू` है। जन्म तारीख २९ अक्तूबर १९७३ और जन्म स्थान-हाथरस है। वर्तमान में आपका बसेरा बरेली(उत्तर प्रदेश) में स्थाई रूप से है। हिन्दी-अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाली गीतांजली वार्ष्णेय ने एम.ए.,बी.एड. सहित विशेष बी.टी.सी. की शिक्षा हासिल की है। कार्यक्षेत्र में अध्यापन से जुड़ी होकर सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत महिला संगठन समूह का सहयोग करती हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,लेख,कहानी तथा गीत है। ‘नर्मदा के रत्न’ एवं ‘साया’ सहित कईं सांझा संकलन में आपकी रचनाएँ आ चुकी हैं। इस क्षेत्र में आपको ५ सम्मान और पुरस्कार मिले हैं। गीतू की उपलब्धि-शहीद रत्न प्राप्ति है। लेखनी का उद्देश्य-साहित्यिक रुचि है। इनके पसंदीदा हिंदी लेखक-महादेवी वर्मा,जयशंकर प्रसाद,कबीर, तथा मैथिलीशरण गुप्त हैं। लेखन में प्रेरणापुंज-पापा हैं। विशेषज्ञता-कविता(मुक्त) है। हिंदी के लिए विचार-“हिंदी भाषा हमारी पहचान है,हमें हिंदी बोलने पर गर्व होना चाहिए,किन्तु आज हम अपने बच्चों को हिंदी के बजाय इंग्लिश बोलने पर जोर देते हैं।”

Leave a Reply