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ये जल है अनमोल

नमिता घोष
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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ज से जल जीवन स्पर्धा विशेष…

मिला है ये जीवन अनमोल
गंवाएं इसे क्यो व्यर्थ,
करें सुरक्षित संरक्षित-जल
करें सबका जीवन सार्थक।
ना जाने किस मोड़ पर चलेगा इंसान
पानी पानी हो रही पानी की पहचान,
सार्वजनिक नल बंद है प्याऊ है लाचार
लगे हुए हैं पानी के बाजार।
जीव जंतु जंगल सभी पानी के अनुवाद
जीवन एक निबंध-सा यूँ पाए विस्तार,
पानी ही प्रस्तावना-
पानी उपसंहार।
हरी-भरी रचना सभी,ठहर समझ मानव,
कितना पानीदार है पानी पर लेख,
दु:ख झेलेगी पीढ़ियाँ,जल-जल करते जाप-
ऐ विकास तू धन्य है मांगे कौन जवाब!
हम नदियाँ के तट पर खड़े
ले आँखों में नीर,
प्यासी नदिया की विवश-
बांच रहे तकदीर।
जल से जल-जल कर कहे चेत,
अरे इंसान,मिला है ये जल अनमोल।
इसे ना गंवाएं,
संरक्षण में ही है मंगल॥

परिचय-नमिता घोष की शैक्षणिक योग्यता एम.ए.(अर्थशास्त्र),विशारद (संस्कृत)व बी.एड. है। २५ अगस्त को संसार में आई श्रीमती घोष की उपलब्धि सुदीर्घ समय से शिक्षकीय कार्य(शिक्षा विभाग)के साथ सामाजिक दायित्वों एवं लेखन कार्य में अपने को नियोजित करना है। इनकी कविताएं-लेख सतत प्रकाशित होते रहते हैं। बंगला,हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषा में भी प्रकाशित काव्य संकलन (आकाश मेरा लक्ष्य घर मेरा सत्य)काफी प्रशंसित रहे हैं। इसके लिए आपको विशेष सम्मान से सम्मानित किया गया,जबकि उल्लेखनीय सम्मान अकादमी अवार्ड (पश्चिम बंगाल),छत्तीसगढ़ बंगला अकादमी, मध्यप्रदेश बंगला अकादमी एवं अखिल भारतीय नाट्य उतसव में श्रेष्ठ अभिनय के लिए है। काव्य लेखन पर अनेक बार श्रेष्ठ सम्मान मिला है। कई सामाजिक साहित्यिक एवं संस्था के महत्वपूर्ण पद पर कार्यरत नमिता घोष ‘राष्ट्र प्रेरणा अवार्ड- २०२०’ से भी विभूषित हुई हैं।

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