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विश्वास है,धरती फिर मुस्कुराएगी

गरिमा पंत 
लखनऊ(उत्तरप्रदेश)

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विश्वास है कि काली रात गुजर जाएगी,
विश्वास है कि दुनिया फिर से संवर जाएगी।

विश्वास है सूरज की किरण नया उजाला लाएगी,
विश्वास है कि रात में शीतलता बढ़ जाएगी।

विश्वास है कि बादल फिर से बरसेंगे,
विश्वास है कि पेड़-पौधे फिर से जी उठेंगे।

विश्वास है कि धरती फिर से मुस्कुराएगी,
विश्वास है कि बच्चे माँ-बाप की सेवा करेंगे।

विश्वास है कि कोई बुजुर्ग अब वृद्धाश्रम नहीं जाएगा,
विश्वास है कि प्यार की गंगा बहेगी।

विश्वास है कि अब कोई बेटी नहीं जलेगी,
विश्वास है कि हर दिन होली,रात दिवाली होगी।

विश्वास है कि यह धरा स्वर्ग से सुंदर होगी,
विश्वास है कि काली रात गुजर जाएगी॥

परिचय-गरिमा पंत की जन्म तारीख-२६ अप्रैल १९७४ और जन्म स्थान देवरिया है। वर्तमान में लखनऊ में ही स्थाई निवास है। हिंदी-अंग्रेजी भाषा जानने वाली गरिमा पंत का संबंध उत्तर प्रदेश राज्य से है। शिक्षा-एम.बी.ए.और कार्यक्षेत्र-नौकरी(अध्यापिका)है। सामाजिक गतिविधि में सक्रिय गरिमा पंत की कई रचनाएँ समाचार पत्रों में छपी हैं। २००९ में किताब ‘स्वाति की बूंदें’ का प्रकाशन हुआ है। ब्लाग पर भी सक्रिय हैं।

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