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सत्य ही साख

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड) 
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सत्य है भाई साथी अपना,
पर लोग धन के साथ हैं
जिसके पास न होता धन,
कोसता सत्य दिन-रात है
समय-समय की बात है।

सत्य है जग में सबसे ऊपर,
पर लोग भटकते हैं धन पर
असत्य पथ पर जाते गुजर,
इंसानों पर वे बरसाते कहर
भटक गए युवा अपनी डगर।

आज करते लोग धन की पूजा,
धन सिवा ना दिखता कोई दूजा
धन से होगा ना तेरा बेड़ा पार,
इससे चलता नहीं है जी संसार
सत्य को पकड़ होगा तेरा उद्धार।

समय-समय की बात है,
सत्य की क्या सौगात है
जान सको तो जानो तुम,
असत्य ही तो विषाक्त है
सत्य जीवन की औकात है।

हमें सबसे कहनी एक बात है,
असत्य की नहीं कोई औकात है
धन से पल भर खुशियाँ साथ है,
सत्य की खुशी की सुनो औकात
स्थाई साथ ये तुम्हारे दिन-रात है।

असत्य के दीपों की करता हूँ बात,
क्षणिक प्रकाश रहता इनके साथ।
सत्य का सूरज जब फैलाता हाथ,
असत्य की बचती नहीं कोई राख,
समझो सत्य की ही है स्थाई साख॥

परिचय–साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैL जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैL भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैL साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैL आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैL सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंL लेखन विधा-कविता एवं लेख हैL इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैL पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंL विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।

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