श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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आओ मिलकर करें प्रतीक्षा,चैत्र प्रतिपदा की,
नाचो गाओ खुशी मनाओ २०२० के जाने की।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा नया साल है हमारा,
आ रहा है नया नया श्रीराम साल न्यारा।
कोरोना काल,साल,दु:ख नहीं मुझे,तेरे जाने का,
कहती ‘देवंती’ जल्दी जा,काम नहीं तेरे रुकने का।
इतना आंतक फैलाया है,बहुत ही तुमने सताया,
तेरे ही कारण,घर में अपनों से दूरी नियम बनाया।
२०२० के साल किया कोरोना तूने सबका बुरा हाल,
बिलख-बिलख कर रोया,जिसका खो गया था लाल।
कोरोना काल,साल,तकलीफ नहीं,तेरे जाने की,
राह देखती,मैं चैत्र शुक्ल प्रतिपदा आने की।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा में आएंगे श्री राम हमारे,
हिंदुस्तान में गूँजेंगे फिर जय श्री राम के नारे।
कठिन घड़ी थी,दुनिया में यह साल बिताना,
बड़े-बुजुर्ग कहते हैं,नहीं देखा था ऐसा जमाना।
ना ढोल बजी,ना शहनाई चुपके बेटी हुई विदाई,
लाइन में लग राशन लिया,हर घर दिक्कत आई।
जीवन लाइन पर टपका ऐसे,जैसे ओले टपके,
उस घड़ी रोने वाला कोई नहीं,मौत आई चुपके।
रोटी खिलाने वाले पिता को,कोरोना तूने खाया,
छोड़ गया पति उसका,जो ब्याह कर लाया।
बूढ़ी माँ की आँखों में आँसू भी नहीं सूख पाया,
दूध पीते बालक को भी कोरोना तूने ग्रास बनाया।
२०२० का साल कोरोना तेरे नाम का,
आने वाला नया साल मेरे श्री राम का॥
परिचय-श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।