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शिक्षा का अलख जगाओ

महेन्द्र देवांगन ‘माटी’
पंडरिया (कवर्धा )छत्तीसगढ़ 
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घर घर अक्षर दीप जलाओ,उजियारा अब सब लाओ।
नहीं रहे कोई अनपढ़ अब,शिक्षा का अलख जगाओ॥

भेद करो मत बेटी-बेटा,सबको आगे लाना है।
लक्ष्य साधकर कार्य करो सब,मंजिल तक पहुँचाना है॥
बेटी को भी पढ़ा-लिखा कर,उसका भी हक दिलवाओ।
नहीं रहे कोई अनपढ़ अब,शिक्षा का अलख जगाओ॥

पढ़-लिखकर विद्वान बनें सब,होगा नाम हजारों में।
स्वदेशी मिसाईंलें भी होगी,दुनिया के बाजारों में॥
राष्ट्र भक्ति का बोध लिए सब,नये तराने अब गाओ।
नहीं रहे कोई अनपढ़ अब,शिक्षा का अलख जगाओ॥

नई-नई तकनीकी खोजें,इसका मान बढ़ाना है।
चाँद-सितारे कुछ मत छूटे,ध्वजा यहाँ फहराना है॥
नई भोर की नई किरण में,शुभ संदेशा अब लाओ।
नहीं रहे कोई अनपढ़ अब,शिक्षा का अलख जगाओ॥

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