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हम खुद ढूँढते हैं दोस्त

आरती जैन
डूंगरपुर (राजस्थान)
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दोस्त चाहे-पतला हो या,
लेकर चलता हो मोटा-सा पेट
आज भी मजा आता है जब,
खींच लेते हैं उसकी समोसे वाली प्लेटl
सही कहते हैं हर एक,
दोस्त जरूरी होता है
सामने पिटाई करता है,
अकेले में हमारे आँसू रोता हैl
कुछ घंटों की जेल थी,
वो प्यारी-प्यारी स्कूल
दोस्तों के संग लगती थी
वो स्वीट-स्वीट सी कूलl
एक ही तो रिश्ता है,
जिसे हम चुनते थे
रब और खून के रिश्ते,
नहीं इसे हम खुद ढूँढते हैंl
अच्छा लगता था,
दोस्तों की टांग खींचना
यही तो रिश्ता है जहाँ जरूरी,
नहीं है हमें अच्छा दिखनाl
दोस्ती का रिश्ता आज भी,
हमें सबसे प्यारा लगता है
यही तो रिश्ता है जो मजहबी,
दायरों में नहीं बंटता हैl
इस बनावटी दुनिया में,
सब लगता है अजीब
दोस्तों की सवारी उन्हें मिलती है,
जिनके बुलंद होते हैं नसीबl
काश हर रिश्ते में मिले,
हमें प्यारी-प्यारी दोस्ती
जहाँ भावनाएं कभी नहीं,
हो रूपयों के आगे सस्तीl
दुआ है सलामत रहे,
मेरा हर प्यारा दोस्त
किसी भी दोस्त की खुशी,
का सूरज नहीं हो अस्तl
सही कहते हैं हर एक,
दोस्त जरूरी होता हैl
सामने पिटाई करता है,
अकेले में हमारे आँसू रोता हैll

परिचय : श्रीमती आरती जैन की जन्म तारीख २४ नवम्बर १९९० तथा जन्म स्थली उदयपुर (राजस्थान) हैl आपका निवास स्थान डूंगरपुर (राजस्थान) में हैl आरती जैन ने एम.ए. सहित बी.एड. की शिक्षा भी ली हैl आपकी दृष्टि में लेखन का उद्देश्य सामाजिक बुराई को दूर करना हैl आपको लेखन के लिए हाल ही में सम्मान प्राप्त हुआ हैl अंग्रेजी में लेखन करने वाली आरती जैन की रचनाएं कई दैनिक पत्र-पत्रिकाओं में लगातार छप रही हैंl आप ब्लॉग पर भी लिखती हैंl

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