अंतुलता वर्मा ‘अन्नू’
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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विश्व शांति दिवस स्पर्धा विशेष……
धर्म के नाम पर दिलों में,
क्यों नफरत फैलाते हो ?
दो गज ज़मीन की खातिर,
क्यों ज़मीर अपना गिराते हो ?
अपने वर्चस्व की खातिर सरहद पर,
क्यों चिराग किसी के घर का बुझाते हो ?
दुवेष मन में भर कर,
क्यों आतंकी हमले करवाते हो ?
इसका परिणाम होता दु:खदायी,
फिर क्यों ये जंग लड़वाते हो ?
बहुत हुआ ये दुनियावालों,
अब तो अपनी आँखें खोलोl
एक दिन यही नफरत हमको मिटा देगी,
तब चारों और बस सन्नाटा होगा
मानवता का न कोई निशां होगा,
तब हम बहुत पछताएंगेl
पर कुछ नहीं हम कर पाएंगे,
अगली पीढ़ी देखना है तो
मिलकर कदम बढ़ाना होगा,
अगर विश्व शांति
पाना है तो,
दृढ़संकल्प ये करना होगाl
सत्य-अहिंसा के पथ पर चल कर,
शांति दूत अब बनना होगा
अमन-चैन का दीप जला कर,
हमको तज को हरना होगाl
व्यर्थ खून न बहे किसी का,
भाईचारा अब रखना होगा
घृणा,बैर और नफरत को भूल कर,
हृदय में प्रेम जगाना होगाl
मिटा के दूरी दिलों से अपने,
मानवता का फर्ज निभाना होगाl
परे हटा कर भेदभाव को,
सभी को गले लगाना होगाll
परिचय-श्रीमती अंतुलता वर्मा का साहित्यिक उपनाम ‘अन्नू’ है। १५ नवम्बर १९८३ को विदिशा में जन्मीं अन्नू वर्तमान में करोंद (भोपाल)में स्थाई रुप से बसी हुई हैं। हिंदी,अंग्रेजी और गुजराती भाषा का ज्ञान रखने वाली मध्यप्रदेश वासी श्रीमती वर्मा ने एम.ए.(हिंदी साहित्य),डी.एड. एवं बी.एड. की शिक्षा प्राप्त की है। आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी (शास. सहायक शिक्षक)है। सामाजिक गतिविधि में आप सक्रिय एवं समाजसेवी संस्थानों में सहभागिता रखती हैं। लेखन विधा-काव्य,लघुकथा एवं लेख है। अध्ययनरत समय में कविता लेखन में कई बार प्रथम स्थान प्राप्त कर चुकी अन्नू सोशल मीडिया पर भी लेखन करती हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-चित्रकला एवं हस्तशिल्प क्षेत्र में कई बार पुरस्कृत होना है। अन्नू की लेखनी का उद्देश्य-मन की संतुष्टि,सामाजिक जागरूकता व चेतना का विकास करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महादेवी वर्मा,मैथिलीशरण गुप्त,सुमित्रा नन्दन पंत,सुभद्रा कुमारी चौहान एवं मुंशी प्रेमचंद हैं। प्रेरणापुंज -महिला विकास एवं महिला सशक्तिकरण है। विशेषज्ञता-चित्रकला एवं हस्तशिल्प में बहुत रुचि है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हमारे देश में अलग-अलग भाषाएं बोली जाती है,परंतु हिंदी एकमात्र ऐसी भाषा है जो देश के अधिकांश हिस्सों में बोली जाती है,इसलिए इसे राष्ट्रभाषा माना जाता है,पर अधिकृत दर्जा नहीं दिया गया है। अच्छे साहित्य की रचना राष्ट्रभाषा से ही होती है। हमें अपने राष्ट्र एवं राष्ट्रीय भाषा पर गर्व है।”