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कैसा सफ़र है…

मोहित जागेटिया
भीलवाड़ा(राजस्थान)
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मजदूरों की ये कैसी अभिलाषा है ?
अब क्या ये ही इनकी ये परिभाषा है ?
भूखे-प्यासे अपने बच्चे ले चलते-
इनके जीवन की अब किनको आशा है ??

तपती धूप में सफ़र से घर जाना है,
पैरों के छालों से ठोकर खाना है।
मजदूर होना कोई गुनाह है भला-
बस आज ठोकर से नहीं घबराना है।

इनकी आँखों में दर्द भरा पानी है,
कठिन रास्तों में इनकी ये रवानी है।
देख दर्द के आँसू घाव बड़े गहरे-
आज के मजदूरों की ये कहानी है॥

जीवन में ये कैसा आज का सफ़र है ?
है मंजिल कितनी दूर कहाँ पर घर है ?
जिस रोटी के लिए ऐसा सफ़र होगा-
आज मंजिल में सफ़र इधर से उधर है॥

परिचय–मोहित जागेटिया का जन्म ६ अक्तूबर १९९१ में ,सिदडियास में हुआ हैl वर्तमान में आपका बसेरा गांव सिडियास (जिला भीलवाड़ा, राजस्थान) हैl यही स्थाई पता भी है। स्नातक(कला)तक शिक्षित होकर व्यवसायी का कार्यक्षेत्र है। इनकी लेखन विधा-कविता,दोहे,मुक्तक है। इनकी रचनाओं का प्रकाशन-राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में जारी है। एक प्रतियोगिता में सांत्वना सम्मान-पत्र मिला है। मोहित जागेटिया ब्लॉग पर भी लिखते हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-समाज की विसंगतियों को बताना और मिटाना है। रुचि-कविता लिखना है।

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