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तू कहाँ चली

विजय कुमार
मणिकपुर(बिहार)

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काव्य संग्रह हम और तुम से

तू कहाँ चली अनजान डगर
तुम्हें खोज रहा हूँ इस कदर,
लूट गया हूँ तेरे प्यार में-
चैन न आए,मेरी धड़कन में।

प्यार तो तूने भी किया
पर दर्द क्यों मुझको दिया,
न रैन मिला न चैन मिला-
हर दम तूने बेचैन किया।

मैं आशिक हूँ आवारा हूँ
बस तुम्हें चाहने वाला हूँ,
झूठे वादे मत करना-
तेरे इश्क़ में मरने वाला हूँ।

दीवार नहीं चट्टान हूँ
तेरी मोहब्बत का इम्तिहान हूँ,
फूल नहीं बस डाली हूँ-
तेरे प्यार का माली हूँ।

आँखों में काजल दिल में है आरजू
एक बार तू कह दे मैं भी प्यार करुं।
तू कहाँ चली अनजान डगर-
तुम्हें खोज रहा हूँ इस कदर॥

परिचय–विजय कुमार का बसेरा बिहार के ग्राम-मणिकपुर जिला-दरभंगा में है।जन्म तारीख २ फरवरी १९८९ एवं जन्म स्थान- मणिकपुर है। स्नातकोत्तर (इतिहास)तक शिक्षित हैं। इनका कार्यक्षेत्र अध्यापन (शिक्षक)है। सामाजिक गतिविधि में समाजसेवा से जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता एवं कहानी है। हिंदी,अंग्रेजी और मैथिली भाषा जानने वाले विजय कुमार की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक समस्याओं को उजागर करना एवं जागरूकता लाना है। इनके पसंदीदा लेखक-रामधारीसिंह ‘दिनकर’ हैं। प्रेरणा पुंज-खुद की मजबूरी है। रूचि-पठन एवं पाठन में है।

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