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दिल्ली क्यों दहली!

विजय कुमार
मणिकपुर(बिहार)

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ये दिल्ली थी दिलवालों की
अब क्यों है दंगाई की,
क्या कसूर उन मजदूरों का…
बलि चढ़ी उन वीरों की।

क्यों न पूछें ये जनमानस
कानून के रखवाले से,
एक तरफ हजारों सेना…
पर दिल्ली क्यों ख़ाली थी ?

झूठ-फरेब की अफवाह
फैलाने वाले कायर थे,
खौफ का मंजर पैदा करके…
ये इतिहास दोहराए थे।

चुप बैठा है दंगाई
दहली तो दिल्ली थी,
ऐसा ही समझो भाई…
ये तो केवल विद्रोह थाll

परिचय–विजय कुमार का बसेरा बिहार के ग्राम-मणिकपुर जिला-दरभंगा में है।जन्म तारीख २ फरवरी १९८९ एवं जन्म स्थान- मणिकपुर है। स्नातकोत्तर (इतिहास)तक शिक्षित हैं। इनका कार्यक्षेत्र अध्यापन (शिक्षक)है। सामाजिक गतिविधि में समाजसेवा से जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता एवं कहानी है। हिंदी,अंग्रेजी और मैथिली भाषा जानने वाले विजय कुमार की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक समस्याओं को उजागर करना एवं जागरूकता लाना है। इनके पसंदीदा लेखक-रामधारीसिंह ‘दिनकर’ हैं। प्रेरणा पुंज-खुद की मजबूरी है। रूचि-पठन एवं पाठन में है।

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