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छैयां नीम की

पूनम दुबे
सरगुजा(छत्तीसगढ़) 
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आँगन की छैयां सुहानी,
बाबा सुनाते थे कहानी
दादी लिए हाथ में पानी,
देख हमें कैसे मुस्काती।
खेलें हम पकड़े बंहियां…,
नीम की छैयां…॥

गर्मी के दिन पूरे हमारे,
नीम डाल पर झूला डाले
इक-दूजे को खूब झूलाते,
खीर बताशे खूब चबाते।
करते हम सब ता-ता थैया…,
नीम की छैयां…॥

होती बारिश भीगते रहते,
कीचड़ पानी से ना डरते
घर आ के फिर खूब छींकते,
पड़ती डांट हम हँसते रहते।
फिर बनाते कागज की नैया…,
नीम की छैयां…॥

ठंडी हवा मस्तानी थी,
मीठी हर जुबानी थी
घूंघट में दुल्हन शर्माती थी,
कुएँ पर होती कहानी थी।
दुर्लभ अब है ताल तलैया…,
वह नीम की…छैयां…॥

परिचय-श्रीमती पूनम दुबे का बसेरा अम्बिकापुर,सरगुजा(छत्तीसगढ़)में है। गहमर जिला गाजीपुर(उत्तरप्रदेश)में ३० जनवरी को जन्मीं और मूल निवास-अम्बिकापुर में हीं है। आपकी शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत विशारद है। साहित्य में उपलब्धियाँ देखें तो-हिन्दी सागर सम्मान (सम्मान पत्र),श्रेष्ठ बुलबुल सम्मान,महामना नवोदित साहित्य सृजन रचनाकार सम्मान( सरगुजा),काव्य मित्र सम्मान (अम्बिकापुर ) प्रमुख है। इसके अतिरिक्त सम्मेलन-संगोष्ठी आदि में सक्रिय सहभागिता के लिए कई सम्मान-पत्र मिले हैं।

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