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क्यों बुला रहे हो

संजय जैन 
मुम्बई(महाराष्ट्र)

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दिल की गहराईयों,से मुझे देखो,
सामने नजर आऊंगा।
चाँद को पाने के लिए,
कहीं भी आ जाऊंगा।
बस दिल से एक बार,
आवाज़ दो हमें।
मैं खुद तुम्हारे सामने,
हाजिर हो जाऊंगा॥

न हम गलत,और न हमारी सोच,
न तुम गलत हो और,
न ही समझता हूँ।
ये तो दिल की बातें हैं,
जो हम दोनों करते हैं।
जब प्यार हुआ है तो,
निभाएंगे भी हम दोनों।
और जब मिलेंगे तो,
दिल के अरमान लुटाएंगे भी॥

होंठों पे आज-कल,बहुत हँसी है,
तेरे दिल में भी,बहुत खुशी है।
कुछ तो तेरे दिल में,
हलचल मच रही है।
तभी मेरे को मिलने को,
तुम बुला रही हो॥

परिचय–संजय जैन बीना (जिला सागर, मध्यप्रदेश) के रहने वाले हैं। वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। आपकी जन्म तारीख १९ नवम्बर १९६५ और जन्मस्थल भी बीना ही है। करीब २५ साल से बम्बई में निजी संस्थान में व्यवसायिक प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। आपकी शिक्षा वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ ही निर्यात प्रबंधन की भी शैक्षणिक योग्यता है। संजय जैन को बचपन से ही लिखना-पढ़ने का बहुत शौक था,इसलिए लेखन में सक्रिय हैं। आपकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। अपनी लेखनी का कमाल कई मंचों पर भी दिखाने के करण कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इनको सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के एक प्रसिद्ध अखबार में ब्लॉग भी लिखते हैं। लिखने के शौक के कारण आप सामाजिक गतिविधियों और संस्थाओं में भी हमेशा सक्रिय हैं। लिखने का उद्देश्य मन का शौक और हिंदी को प्रचारित करना है।

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