अनिल कसेर ‘उजाला’
राजनांदगांव(छत्तीसगढ़)
*************************************************************************
अरे भाई काम करो सच्चे,
न समझो सबको बच्चे।
बातों में अपनी न उलझाओ,
बिगड़ी बात को सुलझाओ।
बात-बात में न जलें,जलाएँ,
जो जिन्दा हैं,हम उन्हें बचाएँ।
नाम को यूँ न बदनाम करो,
मानव जीवन का उद्धार करो।
क्या रक्खा है उस कुर्सी में ?
जो प्राण झोंकते इस कुर्सी में।
द्वेष न कोई काम आएगा,
इंसानियत का रंग ही भाएगा।
जो करते तुम्हारी है-हमारी है,
ऐसे लोगों से दुनिया बनी बेचारी है।
लड़ने-लड़ाने वालों,खुद को सम्हालो,
अरे! सब अपने हैं,सबको गले लगा लो।
छोड़ो `अपनी ढपली-अपना राग`,
बोलो प्रेम से,छेड़ो प्यार का राग।
एकता की जग में है पहचान,
सबसे प्यारा मेरा हिन्दुस्तान॥
परिचय –अनिल कसेर का निवास छतीसगढ़ के जिला-राजनांदगांव में है। आपका साहित्यिक उपनाम-उजाला है। १० सितम्बर १९७३ को डोंगरगांव (राजनांदगांव)में जन्मे श्री कसेर को हिन्दी,अंग्रेजी और उर्दू भाषा आती है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी)तथा पीजीडीसीए है। कार्यक्षेत्र-स्वयं का व्यवसाय है। इनकी लेखन विधा-कविता,लघुकथा,गीत और ग़ज़ल है। कुछ रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-सच्चाई को उजागर करके कठिनाइयों से लड़ना और हिम्मत देने की कोशिश है। प्रेरणापुंज-देशप्रेम व परिवार है। सबके लिए संदेश-जो भी लिखें,सच्चाई लिखें। श्री कसेर की विशेषज्ञता-बोलचाल की भाषा व सरल हिन्दी में लिखना है।