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तुम चाँदनी रात हो सजनी

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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काली बदली से प्रिय केश तुम्हारे,
देख अंधेरी रातें भी शर्मातीं हैं…
नयन तुम्हारे सागर से गहरे,
मानों पलकें करती हैं पहरेl

होंठ तुम्हारे बहुत ही है प्यारे,
लगता जैसे फूलों की क्यारी…
खिलखिलाते फूलों के जैसा,
शायद किसी का हो मुख ऐसाl

तुम चाँदनी रात हो सजनी,
साजन को यूँ लुभाती हो…
सौंदर्य तो तुम्हारा कहो,
क्या-कैसे बखान करूं,कम लगेl

दिल करता है तुझे एक बार छू लूं,
मन की अभिलाषा मैं पूरी कर लूं…
नील गगन में चंदा चमके जैसे,
गगन तले हे प्रिय तुम चमके वैसेl

नई नवेली दुल्हन घूँघट में मुस्काती जैसे,
तुझे मुस्कुराते देख चांद शर्माता है वैसे…
जाने कितने ही तप किए वह साजन,
जिसके हृदय से तुम गले लग जाती होl

वह सच्चा प्रेमी कहलाएगा,
हे प्रिय तुमको जो पाएगा…l
मानसरोवर के हंस जैसा,
मन मुग्ध हो जाएगाll

परिचय-श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।

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