जीवन कर्तव्य में…

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************* जीवन कर्तव्य में करता हेर-फेर,लेकिन हर वक्त से होती है सबेर।देन में भी मंजिल की, पल नहिं रुकता वक्त,जीवन नहि सोचता, अब होती है…

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प्रकृति

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** मोर करे है नृत्य मनोहर,प्रीत दिखावे किसे घनी।कोयल गाये मधुरिम वाणी,मीठे से रस गीत सनी। हरियाली है चंहु दिशि छायी,मन उपवन में हर्ष खिला।बगियन में हैं झूला झूले,जीवन…

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दिल को भी खुद के जैसा…

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************* दिल को भी खुद के जैसा, भगवान तुमने बनाया,कोई, दिल को भी देख न पाया।कोई, दिल को भी देख न पाया॥ सागर-सी इच्छा देकर,…

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गिर रही कीमत इंसान की

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* गिर रही है रोज़ ही,कीमत यहाँ इंसान की।बढ़ रही है रोज़ ही, आफ़त यहाँ इंसान की॥ न सत्य है,न नीति है,बस झूठ का बाज़ार हैन…

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सावन का आगाज

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** उमड़-घुमड़ कर आये बदरा दादुर करते शोर,दम-दम दमक रही दामिनियाँ नाच उठा मन मोर।कि सावन आया है, ये मन हर्षाया है॥ घन-घन गरजे कारी बदरिया बिजुरी…

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बादल भी क्या करे

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ बैठा है कब से प्यासा वो,स्वाति के आसरे।चातक के स्वाभिमान का, बादल भी क्या करे॥ जिसने भरे जलाशय,जिसने भरे समन्दरपर्वत की चोटियों से,जिसने बहाये निर्झर।सोचे वही कि कैसे…

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मुस्कानों को जब बाँटोगे…

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* ख़्वाबों में जीवन की शोभा, मिलता नित यशगान है।मुस्कानों को जब बाँटोगे, तब जीने का मान है॥ दीन-दुखी के अश्रु पौंछकर,जो देता है सम्बलपेट है…

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हम अग्निवीर

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *********************************************** हम अग्निवीर सीमा प्रवीर,बलिदान राष्ट्र पथ जाते हैं।हम शौर्यवीर गंभीर धीर,स्वाभिमान विजय रण गाते हैं॥ हम महाज्वाल हैं क्रान्ति अनल,दुश्मन रण दनुज जलाते हैं।हम…

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पापा तुम-सा कोई न प्यारा

सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़रदेवास (मध्यप्रदेश)****************************************** मन्दिर, मस्ज़िद और गुरुद्वारा,साधु-सन्त-ज्योतिष का द्वारा।जा-जाकर मैं हारा…पापा तुम-सा कोई न प्यारा॥पापा तुम-सा… नहीं मैं समझा रूप तुम्हारा,छिपा क्रोध में प्यार तुम्हारा।करूणामयी है हृदय तुम्हारा,तुमसे शोभित…

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रखे जाल बुन-बुन

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ अब तो नव जन्मे जीवन में, लग जाता है घुन।फिर भी हमें लगी रहती है, वृद्धापन की धुन॥घटते जीवन का भी अपने,बढ़ता पल-पल भावथोड़ी उम्र और मिल जाये,सभी…

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