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उनकी कई दशकों पुरानी रचनाएं वर्तमान दौर में भी प्रासंगिक-डॉ. अख्तर

इंदौर (मप्र)।

अमृत महोत्सव…

कौतुक जी ने मुझे उनकी हालिया किताबों के साथ-साथ करीब ३० ऐसी किताबें भी मुहैया कराईं, जो उन्होंने दशकों पहले लिखी थीं। इनमें से मैंने ५ का उर्दू अनुवाद किया है। २ किताबें फारसी भाषा में भी अनुवाद हो रही हैं। उनकी कई दशकों पुरानी रचनाएं वर्तमान दौर में भी प्रासंगिक एवं समसामयिक हैं। यही उनके कालजयी होने का सबसे बड़ा प्रमाण है।
यह बात देश के ख्यात साहित्यकार और शिक्षाविद् डॉ. शहाब अख्तर ने माई मंगेशकर सभागृह में आयोजित अमृत महोत्सव कार्यक्रम में कही। साहित्यकार सदाशिव ‘कौतुक’ के अमृत महोत्सव एवं नववर्ष के अवसर पर इस कार्यक्रम में डॉ. अख्तर ने बताया कि रांची यूनिवर्सिटी के २ छात्र कौतुक जी की कविताओं तथा कहानियों पर पीएचडी भी कर रहे हैं।
साहित्य साधना के लगभग ६ दशक पूरे कर चुके श्री कौतुक ने कहा कि मैंने अपनी लेखन यात्रा खंडकाव्य ‘सीता स्वयंवर’ से प्रारंभ की थी, जो अब भी जारी है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता भोपाल के वरिष्ठ संस्कृतिकर्मी वसंत निर्गुणी ने की। मुख्य अतिथि पद्मश्री विजय दत्त श्रीधर थे। मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. विकास दवे और वरिष्ठ साहित्यकार सत्यनारायण सत्तन ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार प्रताप सिंह सोढ़ी, हरेराम वाजपेई प्रदीप ‘नवीन’, प्रभु त्रिवेदी, डॉ. जी.डी. अग्रवाल समेत अनेक प्रबुद्धजन एवं साहित्यकार उपस्थित रहे।

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